पटना। अगले साल 2019 के आम चुनावों के साथ बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) के प्रमुख नीतीश कुमार ने कहा कि कोई भी जेडी (यू) को अनदेखा नहीं कर सकता है।
पहले जेडी (यू) विधायी बैठक में भाग लेने वाले नीतीश ने कहा कि वह अभी भी असेंबली सीटों के हिस्से के संबंध में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रस्ताव का इंतजार कर रहे हैं।
भाजपा से अभी तक कोई प्रस्ताव नहीं आया है। एक बार प्रस्ताव मिलने के बाद, हम तय करेंगे कि आगे क्या करना है। लेकिन एक बात बहुत स्पष्ट है, कोई भी जेडीयू को नजरअंदाज नहीं कर सकता, क्योंकि जेडीयू बिहार में एक मजबूत ताकत है। 2014 के लोकसभा चुनाव में, जेडी (यू) ने 40 में से केवल दो सीटें जीतीं, लेकिन 17 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया।
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के साथ गठबंधन छोड़ने के अपने फैसले को स्पष्ट करते हुए नीतीश ने कहा कि वह भ्रष्टाचार पर समझौता नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि मैंने लालू प्रसाद और उनके बेटे से जनता में इतने बड़े पैसे का स्रोत प्रकट करने के लिए कहा, क्योंकि मैं भ्रष्टाचार पर समझौता नहीं कर सकता।
इससे पहले, 2019 के आम चुनावों से पहले महागठबंधन के मुद्दे को संबोधित करते हुए पार्टी के महासचिव के सी त्यागी ने आरजेडी पर उनके रुख के संबंध में कांग्रेस पार्टी से स्पष्टता मांगी थी।
उन्होंने कहा कि जब तक कांग्रेस आरजेडी जैसी भ्रष्ट पार्टी पर अपना रुख साफ नहीं करती, तब तक हम उनके साथ संवाद नहीं कर सकते हैं।
हाल के दिनों में, राज्य विधानसभा में प्रस्तावित सीटों की हिस्सेदारी के कारण मुख्य रूप से जेडीयू और बीजेपी के बीच मतभेद उभरे हैं।
2015 बिहार विधानसभा चुनावों में, जेडी (यू) ने 243 सीटों में से 71 सीटें जीती थीं, जबकि बीजेपी 53 सीटों पर विजयी हुई थी।
जेडी (यू) विधानसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर सीटों की बंटवारा चाहता है, जहां उन्होंने बीजेपी की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन किया था। जिसेक आधार पर यह तय किया जाये कि राज्य में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) पार्टियों में से हर एक को 2019 के लोकसभा चुनाव में कितनी सीटें दी जायें।
गौरतलब है कि पिछले काफी दिनों से जदयू की तरफ से इस बात को लेकर बयानबाजी की जा रही है कि भारतीय जनता पार्टी उनको कमतर आंकने की कोशिश न करे। लेकिन भाजपा की तरफ से अभी तक इस बात पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।