केंद्र और यूपी सरकार शिक्षा को बेहतर करने के लाख दावें कर रही है और करोड़ो रूपये भी खर्च कर रही है, लेकिन अभी भी सरकारी स्कूलों की हालत में कोई सुधार नजर नहीं आ रहा है। जी हाँ यूपी के जनपद हापुड़ में एक ऐसा भी प्राथमिक विद्यालय है जिसमे करीब 106 छात्र व् छात्राए मौत के मुंह में पढ़ने को मजबूर है जिसे देख आपके भी होश उड़ जायेंगे क्योकि मासूम बच्चे विद्यालय की जर्जर हालत को देखते हुए कक्षाओं के बाहर बैठकर पढ़ने को मजबूर है पिछले 25 साल में कई सरकार और दर्जनों अधिकारी भी बदल गए लेकिन अभी तक उस विद्यालय की हालत में कोई सुधार नहीं आया है।25 सालो से लगातार शिकायत करने के बाद भी आज तक जर्जर स्कूल और कक्षाओं की हालत को सही नहीं कराया गया। 25 साल हो गए और आज भी स्कूल में सैकड़ो मासूम मौत के मुंह में पढ़ते हुए आ रहे है और विधालय की हालत आज भी ऐसी है की किसी भी समय कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है।
अधिकारियो की मनमानी के चलते आज भी 106 बच्चे खुली छत के निचे पढ़ने के लिए मजबूर है खुले आसमान में बैठे ये बच्चे गरीब परिवार से है और गरीबी के कारण ही अधिकारी भी इन मासूमों के भविष्य के खिलवाड़ कर रहे हैंउनकी गरीबी का मजाक उड़ाते नजर आ रहे है इसलिए तो 25 सालो से हो रही शिकायतों का आज तक किसी भी अधिकारी ने कोई सज्ञान नहीं लिया जिसके चलते आज भी मासूम छात्र में डर का माहौल बना हुआ है छात्रों ने बताया की कोई भी अधिकारी आज तक विधालय में कुछ चेक करने नहीं आया है और बरसातों में विधालय में पानी भी भर जाता है जिस कारण हमे बाहर बैठकर पढ़ना पड़ता है।
आपको बता दे की नगर के हमीद कन्या प्राथमिक पाठशाला नगर क्षेत्र हापुड़ में 106 छात्र हैं सभी छात्र मौत के डर के साये में पढ़ने को मजबूर है। भवन के कमरों की छत की हालत खस्ताहाल है। ये छतें कभी भी ढह सकती हैं। यही नहीं, जर्जर छत छिपाने के लिए रंगाई-पुताई भी कराई गई है। फिर भी हालात छिपाए नहीं छिप रही। जब हमारी टीम ने पाठशाला में जाकर देख तो हैरान कर देने वाला सच सामने आया करीब 106 छात्र अपनी क्लासो के बाहर धुप में बैठ कर पढ़ रहे थे जिनको पीने तक के लिए पानी भी नहीं था। क्लासो की हालत ऐसी हो चुकी है की वो कभी भी गिर सकती है और जब इस बारे में शिक्षकों से पूछा गया तो शिक्षकों ने बता की पाठशाला की जर्जर हालत के बारे में विभाग को कई बार बताया जा चुका है। लेकिन अभी तक विभाग द्वारा कोई पहल नहीं की गई है, जिससे मजबूरन हमें बच्चों को जर्जर छत के नीचे बैठाकर पढ़ाना पड़ रहा है ।जब इस बारे में शिक्षा विभाग के अधिकारी एबीएसए शारद के बात की गयी तो देखिये जनाब कैसे कागजी कार्रवाई में अटके हुए है और शासन के आदेश का इंतजार रहे है इन साहब को 106 मासूमो की जिंदगी नहीं बल्कि शासन के आदेश आने का इंतजार है फिर चाहे इन मासूमो की जिंदगी के साथ कुछ भी हो जाये।
हिंद न्यूज टीवी के लिए हापुड़ से सुनील गिरि