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उत्तराखण्ड : अबला महिला टीचर की कहनी उसकी जुबानी

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उत्तराखण्ड के सीएम ने जिस महिला शिक्षिका को अपने जनता दरबार में सस्पेंड किया था जब हमने उसके बारे में थोड़ा खोजा तो हमें उसका फेसबुक प्रोफाइल मिला। जिस पर उसने अपने पति को खोने का दर्द बंया करते हुए लिखा था कि किस तरह पैसों के लालच में उसके पति का जान गई। साथ ही जब मैं उनसे मिला था तब उसने अपना दर्द बताते हुए कहा कि किस तरह उसके पति के मरणोपरांत उसे किस तरह से उसने अपने बच्चों का पलान किया साथ ही किस तरह से उसे शादी के बाद से कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

यदि रुपये और जेवरात आदि चल संपत्ति के लिए किसी व्यक्ति की हत्या की जाती है, तो उसमें बाह्य और अपनों में से दोनों का हाथ हो सकता है। लेकिन यदि मकान जमीन जायदाद जैसी अचल संपत्ति के लिए घर के सदस्य की चाहे बाहरी इंसान द्वारा हत्या की जाती है, या उसे मजबूर होकर आत्महत्या करनी पड़ती है, तो इसमें सिर्फ और सिर्फ उस व्यक्ति का हाथ होता है । उस व्यक्ति की मृत्यु के बाद जिसको फायदा होना होता है,  और मेरे पति को आत्महत्या के लिए विवश करके, उनकी मृत्यु के बाद तुरंत ही मकान को बेचने की जल्दबाजी करना , निजी फायदा नहीं ? तो क्या है? जिसको बेचने के लिए कागजी कार्रवाई पहले से ही तैयार कर दी गई थी।
मेरे पति की माँ इंदु बहुगुणा, जिसके नाम ये मकान था , आधा मकान बेचकर पहले ही अलग मकान बना चुकी थी, और बहिन सुधा ढ़ौढियाल पड़ोस में अपनी पति और उसकी बेटियों का पतियों सहित बसने के बाद , झूठ की पोल खुलने की डर से हमें मोहल्ले से भगाने का षड्यंत्र किया गया।

मकान बिकने के तुरंत बाद विदेश जाने की पूरी तैयारी तथा विदेश में रहने आदि की रुपयों का जुगाड़ होते ही पूरी व्यवस्था की गई थी मेरे पति के भाई आलोक बहुगुणा उर्फ बाॅबी और उसकी पत्नी निधि बहुगुणा रावत द्वारा। जो मेरे बच्चों को बेवकूफ बनाने के बाद,मकान बेचने के तुरंत बाद आस्ट्रेलिया चले गए।

मैं अपना ये रोना मकान के लिए नहीं रो रही हूँ , बल्कि मेरा ये लिखने का मकसद केवल उस सच्च से परिचित और रिश्तेदारों को अवगत कराना है। जो मेरे खिलाफ झूठ के रूप में परोसा गया है।

मैंने शादी के पहले दिन से लेकर , अब तक अपना ही खाया है। क्योंकि इस घर में शादी के पहले दिन ही मेरे पर्स से सारे रुपये और गहने और शादी के अट्ठारह दिन बाद मेहंदी लगे हाथों से कड़े बेचकर किसी के पच्चीस हजार रुपये दिलवा कर और रहने का किराया और खाने की खलाई के रूप में वसूल लिए गए थे। और तरह तरह की यातनाएं देने के बाद भी जब घर से नहीं गई, तो चार माह बाद पति सहित एक माह के गर्भावस्था में घर से ये कहकर भगा दिया कि बच्चे का जन्म ननिहाल में होता है।

दुनिया आज भी राम मंदिर के लिये पागल होकर बबाल मचा रही है। जो कि कई युग पुरानी बात है। तो मैं तो वर्तमान की सच्चाई को बयां करके, अपना घर उजड़ने की बात कहकर अपनी आवाज अकेले ही क्यूँ नहीं उठा सकती हूँ। पढ़ी-लिखी हूँ। अपनी आपबीती स्वयं अक्षरसह लिखने में परिपूर्ण हूँ। जरूरी है कि कोई और हेर फेर करके मेरी जीवनी लिखे। क्योंकि मेरे लिए मेरे पति राम और मेरे पति का घर मंदिर था। लोग तो वर्तमान से भी अनभिज्ञ है , लेकिन मैं भविष्य के बारे में भली-भांति अवगत हूँ।

नरेश तोमर की कलम से

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