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कश्मीर- सेना से क्यों डर रहे हैं पत्थरबाज और क्या हो सकता है आतंकियों का अगला निशाना

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जम्मू-कश्मीर में हुए तख्तापलट के बाद अब जहां एक तरफ राज्यपाल शासन लगा हुआ है तो वहीं यह अनुमान लगाया जा रहा था कि अब सेना की मुसिबतें और ज्यादा बढ़ने वाली हैं,क्योंकि शायद पत्थरबाज सेना को परेशान करने के लिए निकल पड़ेंगे लेकिन ऐसा नही हुआ।सबसा बड़ा सवाल यही है कि आखिर क्यों महबूबा मुफ्ती की सरकार के गिरते ही पत्थरबाज और पत्थरबाजी खत्म सी हो गई।आखिरी बार हुई पत्थरबाजी में तो पत्थरबाजों ने ईद के दिन को भी नहीं बख्शा था।

श्रीनगर में ईद की नमाज के बाद भीड़ ने सेना पर पथराव किया था।जिसके जवाब में सेना ने आंसू गैस के गोले छोड़े थे।पत्थरबाज यहीं नहीं रूके, इस दौरान IS और पाकिस्तान के झंडे भी लहराए गए थे बता दें कि श्रीनगर के ईदगाह इलाके में भी उसी समय झड़प हुई थी, जहां बड़ी संख्या में लोग ईद की नमाज अदा करने के लिए जुटे थे।साथ ही साथ हालिया देखने में आया है कि युवाओं का सेना से मोह भंग होता जा रहा है और वे इस क्षेत्र में करियर के लिए उतने उत्सुक नहीं हैं, जितने पहले हुआ करते थे।

पिछले कुछ समय में यह देखने में आया है कि युवा सेना की नौकरी से तय समय से पहले ही रिटायर होने का विकल्प चुन रहे हैं।तो वहीं इन सभी चीजों के बीच सेना के जवानों के प्रति देश की जनता के नजरिए में बड़ा बदलाव आता दिख रहा है।उनके प्रति आम लोगों की सोच में बड़ा बदलाव दिख रहा है। वे अब सेना को महज देश का रक्षक नहीं, बल्कि अपने सुख-दुख का साथी समझने लगे हैं।उनके साथ मित्रता और सहयोग का वर्ताव देखने को मिल रहा है।सोच में यह बदलाव आया है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर, जिन्होंने मध्यप्रदेश के भोपाल में शॉर्य स्मारक पर दिवंगत जवानों को श्रद्धांजलि देने के बाद आम जनता से  नम्न की अपील की थी।

अभी फिलहाल सरकार की तरफ से हाल ही में आए एक बयान में सेना को कार्रवाई करने के लिए खुली छूट देने की बात कही गई थी, जिसके बाद यह अनूमान लगाया जा रहा है कि सेना सबसे पहले और प्रमुख कदम आतंकवाद को रोकने के लिए उठाएगी।जिसमें हो सकता है कि सबसे पहले आतंकवादियों की घुसपेठ खत्म करने के लिए सेना लॉचींग पैड को ही खत्म करदे।अगर सेना की तरफ से ऐसा कदम उठाया जाता है तो यह आतंकवाद को रोकने के लिए एक अच्छी पहल होगी।फिलहाल सबकी नजरें अमरनाथ यात्रा पर हैं,क्योंकि आतंकियों की नजर हर बार दहशत फैलाने के लिए ऐसे तीर्थस्थल पर होती ही है।

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