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संतों की करनी और कथनी में कितना है अंतर!, जान लीजिए आप

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वातानुकूलित संत बैठकों के माध्यम से कहते हैं कि गंगा को स्वच्छ करके रहेंगे, अविरल करके रहेंगे और निर्मल करके रहेंगे, लेकिन संत केवल बैठकों में और मंचों से ही गंगा को स्वच्छ करते हैं। उनकी कथनी और करनी में कितना फर्क है यह आप आज जान लें।

यह नजारा हरिद्वार पांच नंबर ठोकर का है। जहां पर संतों को जल समाधि दी जाती है। जहां एक तरफ तो संत कहते हैं कि जल समाधि पर प्रतिबंध लगा दिया है और अब उन्हें भू-समाधि दी जाएगी, लेकिन दूसरी तरफ ये नजारा है, जहां इन संत को कुछ दिन पहले ही यह जल समाधि दी गई होगी और किस तरह गंगा में इस संत की लाश सड़ रही है।

ऐसे में मां गंगा का पवित्र जल किस तरह से दूषित हो रहा है। ये आप देख सकते हैं। इन संतों की कथनी और करनी में कितना फर्क है यह भी आप देख सकते हैं, यह नजारा पांच नंबर ठोकड़ का है इसी जल में आज स्नान पर्व पर लाखोँ श्रद्धालु स्नान कर रहे है। जय हो ऐसे संतों की जिनकी कथनी और करनी में कितना फर्क है।

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