वैसे तो भाजपा सरकार ने सत्ता पर काबिज होते ही जनता दरबार लगाने के लिए मंत्रियों और अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंप दी।जनता दरबार तो लगे किन्तु जल्द ही सरकार के कामकाज का लेखा जोखा जनता दरबार लगने पर सामने आने लगा।सूबे में विकास कार्य अवरूद्व हैं।जनता में हताशा और निराशा का माहोल है।
जिसप्रकार की समस्याएं लोग जनता दरबार में लेकर आ रहे हैं।उनमें से कितने लोगों की समस्याओं का हल होता है।उसकी वास्तिविक तस्वीर आज तक साफ नही है।एक बार तो जनता दरबार में एक ट्रान्सपोर्टर जनता दरबार में जहर खाकर पहंचा था जिसके बाद सरकार पर कई आरोप लगे थे।मंत्री अधिकारी जनता दरबार में लोगों को दिखाने के लिए आदेश तो देते हैं लेकिन दरबार में आए कितने लोगों की समस्याएं हल होती हैं।
हम ऐसा इसलिए पूछ रहें हैं क्योंकि गुरुवार को न्यू कैन्ट रोड स्थित सीएम आवास में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आम जनता की समस्याओं व शिकायतों की सुनवाई के लिए जनता दरबार लगाया गया था।इस दौरान उत्तरकाशी से आई प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका ऊर्जा बहुगुणा ने एकाएक मुख्यमंत्री को अपशब्द कहना शुरु कर दिया।उक्त शिक्षिका जोर-जोर से चिल्लाने लगी।खूब हंगामा करने लगी।मुख्यमंत्री ने शिक्षिका को सही से बात करने की हिदायद दी और कहा कि अगर उन्होंने बात नहीं मानी तो सस्पेंड कर दिया जाएगा।
ऊर्जा बहुगुणा ने एक न सुनी और अपशब्द कहना जारी रखा।जिससे गुस्साए सीएम ने शिक्षिका को सस्पेंड करने के आदेश दे दिए।फिर भी शिक्षिका रुकी नहीं तो फोर्स बुलाकर शिक्षिका को जनता दरबार से बाहर कर दिया गया।वहां भी उनका चिल्लाना और मुख्यमंत्री को अपशब्द कहना जारी रहा।जिसके बाद शिक्षिका को गिरफ्तार कर लिया गया।यहां गौरेकाबिल यह है कि प्रदेश सरकार को जनता दरबार से आंकलन करना चाहिए है कि जनता के बीच सरकार की क्या छवि बन रही है।
जब प्रदेश की जनता हताश और निराश होगी तो ऐसे मामले सामने आएंगे ही।जबकि सीएम रावत एक साफ सुथरी छवि के नेता रहे हैं।जनता दरबार अन्य सरकारों के कार्यकाल में भी लगा है।किन्तु ऐसे प्रकरण कभी सामने नही आए।जोकि त्रिवेन्द्र सरकार के शासन में जनता दरबार मे देखने को मिल रहे हैं।