भारत में आज भी ऐसे कई स्थान है। जिनका रहस्य आज भी बरकरार है। इन अनसुलझे रहस्यों को सुलझाने के लिए कई प्रयास किये गये, लेकिन आज भी रहस्य, रहस्य ही बने हुए है। वैसे तो हमारे भारत में हजारों अनसुलझे रहस्य है।
लेकिन आज प्रस्तुत आपके सामने 6 अनसुलझे रहस्य
समुद्र के नीचे द्वारिका:- भगवान श्रीकृष्ण की बसाई हुई नगरी(द्वारिका)। इस जगह का अपना धार्मिक महत्व तो है ही, लेकिन रहस्य भी कुछ कम नहीं है। द्वारिका के बारे में कहा जाता है, कि कृष्ण की मृत्यु के साथ उनकी बसाई हुई यह नगरी समुद्र में आचानक डूब गई, लेकिन वेद-पुराणों में लिखा है, कि आज भी इस धरती पर द्वारिका के अवशेष मौजूद है।
काफी समय से कई बड़े शोधकर्ताओं ने यहां पुराणों में वर्णित द्वारिका के रहस्य का पता लगाने का प्रयास किया, लेकिन वैज्ञानिक का अध्ययन कार्य आज तक पूरा नही हो पाया है। 2005 में द्वारिका के रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए एक अभियान शुरू किया गया था।अभियान के दौरान समुद्र की गहराई में कई छोटे-छोटे पत्थर मिले, लेकिन आज तक यह तय नही हो पाया कि वह द्वारिका के अवशेष है।
कैलाश पर्वत:- कैलाश पर्वत को इस दुनिया का सबसे बड़ा रहस्यमयी पर्वत माना जाता है। इसे अप्राकृतिक शक्तियों का केंद्र माना जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह धरती का केंद्र है। जिसे एक्सिस मुंडी (Axis Mundi) कहा जाता है।
एक्सिस मुंडी अर्थात दुनिया की नाभि या आकाशीय ध्रुव और भौगोलिक ध्रुव का केंद्र जहां अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है। कैलाश पर्वत चार महान नदियों-सिंध, ब्रह्मपुत्र, सतलुज और कर्णाली तथा दो सरोवर से घिरा हुआ है। मानसरोवर जो दुनिया की शुद्ध पानी की उच्चतम झीलों में से एक है, जिसका आकार सूर्य के समान है तथा राक्षस झील जो दुनिया की खारे पानी की उच्चतम झीलों में से एक है, जिसका आकार चन्द्र के समान है। ये दोनों झीलें सौर और चन्द्र बल को प्रदर्शित करती हैं जिसका संबंध सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा से है।
कैलाश पर्वत और उसके आसपास के वातावरण पर अध्ययन कर चुके रशिया के वैज्ञानिकों ने जब तिब्बत के मंदिरों में धर्मगुरुओं से मुलाकात की तो उन्होंने बताया, कि कैलाश पर्वत के चारों ओर एक अलौकिक शक्ति का प्रवाह है जिसमें तपस्वी आज भी आध्यात्मिक गुरुओं के साथ टेलीपैथिक संपर्क करते है। लोगों का कहना है, कि हिमालय पर भूत और योगियों को देखा गया है, जो लोगों को मारकर खा जाते है।
अलेया भूत लाइट:- पश्चिम बंगाल के कुछ इलाकों में कई बार एक रहस्यमयी रोशनी देखे जाने की जानकारी मिली थी। स्थानीय लोगों की मानें तो, यह उन मछुआरों की आत्माएं है, जो मछली पकड़ते वक्त किसी वजह से मर गए थे।
वहां ऐसा भी कहा जाता है, कि जिन मछुआरों को यह रोशनी दिखती है, वे या तो रास्ता भटक जाते हैं या ज्यादा दिन जिंदा नही रहते। इन क्षेत्रों से अब तक कई मछुआरों की लाशें भी मिल चुकी है। कुछ वैज्ञानिकों को लगता है, कि इन क्षेत्रों में अक्सर मीथेन गैस बनती है और गैस किसी तत्व के संपर्क में आने से रोशनी पैदा करती है, लेकिन लोगों की मौंत कैसे होती है,अभी तक इस रहस्य से भरी गुत्थी आज तक सुलझ नही पाई है।
रूपकुंड झील:- यह नदी हिमालय पर्वतों में स्थित है। इस तट पर मानव कंकाल पाए गए हैं। पिछले कई वर्षों से भारतीय और यूरोपीय वैज्ञानिकों के विभिन्न समूहों ने इस रहस्य को सुलझाने के कई प्रयास किए, पर वे नाकाम रहे।
भारत के उत्तरी क्षेत्र में खुदाई के समय नेशनल जिओग्राफिक (भारतीय प्रभाग) को 22 फुट का विशाल नरकंकाल मिला। बताया जाता है, कि कद-काठी के हिसाब से यह कंकाल महाभारत के भीम पुत्र घटोत्कच से मिलता-जुलता है, वहीं इसकी तुलना अमेरिका में पाए जाने वाले बिगफुट से भी की जा रही है
यह कंकाल देखकर लगता है, कि किसी जमाने में भारत में ऐसे विशालकाय मानव भी रहा करते थे, लेकिन इतने बड़े मनुष्य के होने का कहीं कोई प्रमाण अभी तक प्राप्त नही हो सका है।
जतिंगा गांव:- जतिंगा गांव असम में स्थित है। यह गांव पक्षियों की आत्महत्या की घटनाओं के लिए सुर्खियों में बना हुआ है। कहा जाता है कि पक्षी यहां आकर आत्महत्या करते है।
मानसून की काली रात में जतिंगा के आसमान पर मौत का काला साया मंडराने लगता है। झुंड के झुंड में पक्षी इस रोशनी की ओर जाते है और काल के गाल में समा जाते है। चिड़ियों के इस प्रकार सामूहिक आत्महत्या के पीछे क्या कारण है इस बात का पता लगाने के लिए कई शोध हो चुके है, परंतु प्रकृति का यह रहस्य आज भी रहस्य ही बना हुआ है।
तिब्बत का यमद्वार:- प्राचीन काल में तिब्बत अखंड भारत का ही हिस्सा हुआ करता था। तिब्बत को चीन ने अपने कब्जे में ले रखा है। तिब्बत में दारचेन से 30 मिनट की दूरी पर स्थित है, यम का द्वार।
यम का द्वार पवित्र कैलाश पर्वत के रास्ते में पड़ता है। हिंदू मान्यता के अनुसार, इसे मृत्यु के देवता यमराज के घर का प्रवेश द्वार माना जाता है। कहा जाता है, कि यहा रात में रुकने वाला जीवित नही रह पाता। यहा ऐसी कई घटनाएं हो भी चुकी है, लेकिन इसके पीछे के कारणों का खुलासा आज तक नही हो पाया है। साथ ही यह मंदिरनुमा द्वार किसने और कब बनाया। इसका कोई प्रमाण भी नही है। ढेरों शोध हुए, लेकिन आज तक कोई नतीजा नही निकल पाया है।