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इसलिए जम्मू-कश्मीर में ‘राष्ट्रपति शासन’ की जगह लगता है ‘राज्यपाल शासन’

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बीजेपी-पीडीपी गठबंधन टूटने के बाद आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन को मंजूरी दे दी है। महबूबा मुफ्ती के इस्तीफे के बाद जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एन.एन. वोहरा ने राष्ट्रपति को एक पत्र भेजा जिसमें यहां केन्द्र का शासन लागू करने की सिफारिश की थी। वहीं राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद राज्य में राज्यपाल शासन लग गया।

ऐसे में आपके मन में ये सवाल जरूर उठ रहा होगा कि आखिर जम्मू-कश्मीर में ‘राज्यपाल शासन’ क्यों लगाया जाता है जबकि भारत के किसी भी राज्य में अगर ऐसी स्थिति होती है तो वहां ‘राष्ट्रपति शासन’ लगता है फिर जम्मू-कश्मीर में ऐसा क्यों। चलिए जानते हैं।

दरअसल, जम्मू-कश्मीर के संविधान की धारा 92 के तहत अगर कोई सरकार राज्य में विफल रहती है तो राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद 6 महीने तक यहां ‘राज्यपाल शासन’ लागू किया जाता है। जम्मू-कश्मीर को छोड़कर देश के बाकी राज्यों में अनुच्छेद 365 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है, लेकिन भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करता है, जिसके चलते यहां राज्यपाल शासन लगाया जाता है।

वहीं जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन के दौरान यहां कि विधानसभा यो तो निलंबित रहती है या फिर इसे भंग कर दिया जाता है। साथ ही अगर 6 महीने के अंदर यहां स्थिति बहाल नहीं होती तो राज्यपाल शासन की अवधि बढ़ाई जा सकती है।

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