जम्मू-कश्मीर में पिछले 3 सालों से चला आ रहा बीजेपी-पीडीपी गठबंधन मंगलवार दोपहर को टूट गया। वहीं इस गठबंधन को तोड़कर बीजेपी ने 2019 में होने वाले आम चुनाव के लिए अपना प्रचार का रूख भी साफ कर दिया। दरअसल, बीजेपी ये अच्छे से समझती है कि अल्पसंख्यक खासकर की मुसलमानों के वोट बीजेपी के खाते में नहीं आने वाले। ऐसे में आखिर कब तक कश्मीर के बहाने वो हमले झेलती क्योंकि पार्टी के अंदर और बाहर से बीजेपी को कई बार हमले झेलने पड़ते थे।
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…तो इसलिए टूट गया BJP-PDP गठबंधन
बीजेपी अच्छी तरह ये भी समझ चुकी है कि केवल विकास के नारे पर 2019 का रण नहीं जीता जा सकता और अगर 2019 में एक बार फिर सरकार बनानी है तो क्षेत्रीय दलों के वोट बैंकों को तोड़ना होगा यानि वोटों का ध्रुवीकरण करना होगा।
गौरतलब, है कि सीमा पार से कश्मीर में लगातार गोलीबारी की जा रही थी, जिसके चलते वहां हालात काफी बिगड़ गए थे और सरकार को इसके लिए घेरा जा रहा था। वहीं सरकार ने अब गठबंधन तोड़ दिया है। वहीं अब सरकार जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगवाकर विशेषाधिकार कानूनों और अर्धसैनिक बलों का मनमाने ढंग से इस्तेमाल कर सकेगी। हालांकि, हो सकता है कि इससे स्थिति और बिगड़े, लेकिन सरकार के कठोर कदमों को पूरा देश देखेगा और सरकार इसे प्रचार के तौर पर भी इस्तेमाल करने की सोचेगी।