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आज हो सकता है दिल्ली का गतिरोध खत्म, अधिकारियों के रुख में आई नरमी

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दिल्ली में बीते 9 दिनों से राजभवन में बैठे दिल्ली के मुख्यमंत्री आज अपने धरने को टाटा -बाय- बाय कह सकते हैं। ऐसा इसलिए कह जा रहा हैं, क्योकि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने सरकारी बाबूओं को उनकी सुरक्षा का वादा दिया, जिसका आईएएस अधिकारियों ने स्वागत किया।

हड़ताल पर नहीं आईएएस अधिकारी 

बीते 9 दिनों से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एलजी हाउस में धरने पर बैठे हैं, इसके पीछे वो तर्क देते हुए कह रहे है कि दिल्ली में आईएएस अधिकारी मंत्रीयों द्वारा बुलाई गई किसी भी बैठक में जाने से मना कर रहे हैं जिसके कारण दिल्ली के सारे विकास कार्य रूके हुए हैं। वहीं आईएएस अधिकारीयों का कहना है की वो किसी भी फाईल को रोककर नहीं बैठे हैं फाईलें उनके पास आ ही नहीं रही हैं, और जो फाईलें आई उन्होंने उस पर काम किया। साथ ही वो मुख्यमंत्री निवास में कथित तौर पर हुई मारपीठ को याद दिलाते हुए कहते हैं कि उनकी सुरक्षा कि जिम्मेदारी मुख्यमंत्री ले और भरोसा दिलाए की उनके साथ उस तरह का सलूक नहीं होगा जैसा उनके सबसे बड़े अफसर के साथ मुख्यमंत्री के सामने हुआ था।

सुलह का रास्ता साफ, केजरीवाल दिलाएंगे सुरक्षा

इन सब के दिल्ली के मुख्यमंत्री ने आईएएस अधिकारीयों को एक खत लिखा जिसमें उन्होंने भरोसा दिलाया की अधिकारी काम पर वापस लौटे वो उनको भरोसा दिलाते हैं की उनका सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा जाएगा। केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि ‘मुझे बताया गया है कि आईएएस  एसोसिएशन ने प्रेस कांफ्रेंस में अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। मैं उन्हें आश्वासन देता हूं कि मैं अपनी शक्ति और संसाधनों के भीतर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करूंगा। यह मेरा कर्तव्य है। मैंने ऐसे ही आश्वासन कई अधिकारियों को भी दिए हैं, जिन्होंने मुझसे निजी तौर पर मुलाकात की है। मैं यही बात फिर दोहराता हूं।’ इसके बार आईएएस अधिकारीयों ने कहा की वो मुख्यमंत्री के इस परह का स्वागत करते हैं, औऱ वो चर्चा करने के लिए तैयार हैं। इसे आईएएस अधिकारियों के रुख में बदलाव के तौर पर देखा जा रहा हैं। और इसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे है की कई दिनों से चल रहा गतिरोध अब सुलह की तरफ बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है।

कोर्ट ने कहा – केजरीवाल नहीं दे रहे धरना 

वहीं केजरीवाल के धरने के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई कर रहे जस्टिस एके चावला और जस्टिस नवीन चावला की पीठ ने की दिल्ली सरकार के वकील तल्ख टिप्पणी करते हुए पूछा कि ,’समझ नहीं पा रहे हैं कि ये धरना है या हड़ताल। इसकी इजाजत किसने दी थी? आप सरकार के इस कदम को धरना नहीं कह सकते। हड़ताल या धरना किसी के घर या दफ्तर के बाहर होता है, अंदर नहीं। इस मसले का हल निकालना जरूरी है।’

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