नई दिल्ली। शिवसेना ने अपनी 52वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर जमकर बरसी। विभिन्न मोर्चों पर राष्ट्र के साथ अन्याय करने के अपने गठबंधन सहयोगी पर आरोप लगाते हुए उद्धव ठाकरे ने पार्टी के मुखपत्र सामना में लिखा है कि वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से बाहर निकल जाएंगे।
शिवसेना ने अपने संपादकीय में विश्वास व्यक्त किया और कहा कि वह अगला महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव जीतेंगे और 2019 के आम चुनावों में किंग मेकर की भूमिका निभाएंगे।
आगे उन्होंने लिखा है कि शिवसेना की यात्रा कभी आसान नहीं रही है। आज भी हमारे रास्ते में कई बाधाएं हैं। हालांकि, सभी बाधाओं के बावजूद हम अगले महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों को जीतने पर भरोसा रखते हैं। हमें इस बात का पूरा भरोसा है कि आने वाले आम चुनावों में हम किंग मेकर की भूमिका जरूर निभायेंगे।
इस समय जब भारतीय जनता पार्टी गठबंधन के लिए शिवसेना को लुभाने की कोशिश कर रही है, तो हम उसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं।
संपादकीय ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 पर भी केंद्र की खिंचाई की जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए अवैध प्रवासियों को – हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को सरकार भारत का नागरिक बनाना चाहती है। यह बहुत आसान और घटिया रास्ता है।
संपादकीय में आगे लिखा है कि असम की संस्कृति और पहचान खतरे में है। केंद्र राज्य में विदेशी तत्वों को घुसाने की कोशिश कर रहा है, इस तरह से राज्य के लोगों को अपने अधिकारों पर समझौता करना पड़ेगा।
संपादकीय में, मुंबई में प्राइवेट डेवलपर्स द्वारा क्षेत्रों के नए नामकरण के इरादे पर जमकर निशाना साधा गया है। अतीत में सेना प्रमुख ने मुंबई में वरली और मालाबार हिल्स जैसे स्थानों के नामों में कथित रूप से बदलाव करने का विरोध कर चुकी है।
सेना ने अप्रत्यक्ष रुप से हमला करते हुए कहा कि केवल दिल्ली आभासी धूल और तूफान नहीं आया है। यह पूरे देश में जीवन को दुखी कर रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के कान पर जूं तक नहीं रेंग रहा है, क्योंकि वे देश में रहते ही नहीं हैं। इसलिए वे देश की समस्याओं के बारे में जानते ही नहीं हैं।
क्या देश में कोई आपातकाल लगा है? देशवासियों के मन में ऐसे सवाल पनप रहे हैं। देश की सीमायें सुरक्षित नहीं हैं। सीमा पर हमार देश के रणबांकुरे मारे जा रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार है कि उसके ऊपर कोई फर्क ही नहीं पड़ता है। देश की स्थिति बहुत अजीबोगरीब हो गई है।
संपादकीय ने पार्टी की 52 साल की लंबी यात्रा की भी समीक्षा की और राज्य और देश में पार्टी के योगदान को रेखांकित करते हुए बाधाओं वाले रास्ते पर चलते हुए हासिल किए गए मील के पत्थर का भा जिक्र किया है।