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BJP के हाथ से निकला जम्मू-कश्मीर, टूटा बेमेल गठबंधन; महबूबा ने सौंपा इस्तीफा

BJP के हाथ से निकला एक और राज्य, जम्मू-कश्मीर में टूटा बेमेल गठबंधन; सरकार गिरी

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नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी और पीडीपी के साथ अब गठबंधन नहीं रहा। भारतीय़ जनता पार्टी के कोटे से बनाए गए सभी मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है। बीजेपी के ऐलान के बाद महबूबा मुफ्ती ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राज्यपाल एनएन वोहरा को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। वहीं शाम 4 बजे पीडीपी की बैठक बुलाई गई है। इस तरह से भाजपा के इस दावे पर अब विराम लग जाएगा कि देश के 21 राज्यों में उसकी या सहयोगी की सरकार है। कहने का मतलब यह है कि उसमें से एक राज्य अब कम होकर 20 हो गए हैं।

गौरतलब है कि यह गठबंधन जब से बना था, उसके बाद से कई बार ऐसा हुआ कि भाजपा अपना समर्थन वापस लेकर जम्मू में सरकार गिरा सकती है। लेकिन भाजपा के साथ एक बात यह थी कि उसको यह गिनाना था कि देश में किन-किन राज्यों में भाजपा या उसके समर्थन से सरकारें चल रही हैं। अब उनमें से एक राज्य कम हो गया है। कई मौकों में पर ऐसी बातें जब सामने आईं कि नेताओं के बीच मनमुटाव है तो उसे बाहर नहीं आने दिया गया, लेकिन अंदर ही अंदर दोनों में बैचारिक तालमेल कभी नहीं रहा। हालांकि तालमेल बैठाने की कोशिश अंतिम समय तक जारी रही। लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और भाजपाध्यक्ष अमित शाह की बैठक के बाद यह फैसला लिया गया।

इस गठबंधन के टूटने पर शिवसेना नेता संजय राउत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह गठबंधन बेमेल और अस्वाभाविक था। शिवसेना का कार्यकारी अध्यक्ष ने पहले ही कहा था कि यह स्वार्थ का गठबंधन है, यह ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगा। अगर भारतीय जनता पार्टी इसे आगे जारी रखती तो जम्मू में इस समय जो हालात उभरे हैं, उसका उन्हें जवाब देना पड़ता।

बता दें, जिस समय यह गठबंधन बना था, उस समय पूरे देश से यह आवाज उठी थी कि यह गठबंधन महज स्वार्थ के लिए किया गया है। इसकी उम्र ज्यादा नहीं है। जबकि भाजपा ने पीडीपी के साथ जब मिलकर सरकार बनाई थी उस समय भी उन्होंने यही कहा था कि हमने यह फैसला राज्य और देश के हित में लिया है और आज समर्थन वापस लेने पर भी यही कहा है कि हमने अपना समर्थन देशहित में वापस लिया है।

उधर, पीडीपी के प्रवक्ता का कहना है कि हमने राज्य में बेहतरीन सरकार देने की कोशिश की, लेकिन भाजपा की तरफ से सहयोग नहीं किया गया। इतना ही नहीं गठबंधन तोड़ने की हमको भनक तक नहीं लगने दी गई।

वहीं, कांग्रेस ने कहा है कि राज्य में भाजपा और पीडीपी का गठबंधन टूटना राज्य की जनता के हित में है। अब प्रदेश वासियों को राहत महसूस होगी। भाजपा ने तो राज्य को बर्बाद कर दिया। पिछले तीन साल में सबसे अधिक नागरिकों ने अपनी जानें गंवाई हैं। गठबंधन से वक्त ही पीडीपी को सोचना चाहिए था।

पीडीपी नेता नईम अख्तर ने बताया कि शाम पांच बजे हम विस्तार से इस पर बातचीत करेंगे। लेकिन उसके पहले महबूबा ने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया है।

4 अप्रैल 2016 को महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर कार्यालय ग्रहण किया था। मुस्लिम बाहुल्य राज्य में उन्होंने खुद को एक बेहतरीन और सशक्त राजनेता के तौर पर साबित किया और हमेशा अपने पिता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर राजनीति में सक्रिय रहीं। 59 वर्षीय महबूबा का जन्म 22 मई 1959 को नोपाड़ा में हुआ। उन्होंने कश्मीर यूनिवर्सिटी से ला की डिग्री भी हासिल की।

सियासत उन्हें विरासत में मिली है। उनके पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद का देश की राजनीति में अहम योगदान रहा और वी पी सिंह की सरकार में मुफ्ती देश के होम मिनिस्टर भी रहे। महबूबा ने पहली बार कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा और। पिता और पुत्री ने वर्ष 1999 में मिलकर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी बनाई। महबूबा ने बतौर सांसद अपना पहला चुनाव वर्ष 2004 में जीता।

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