मुंबई। जम्मू में उपजे राजनीतिक संकट पर कांग्रेस पार्टी ने मंगलवार को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के साथ गठजोड़ करने की संभावना को एक सिरे से खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने कहा है कि पीडीपी के साथ गठजोड़ करने का कोई सवाल ही नहीं उठता है।
जम्मू में पीडीपी और बीजेपी के गठबंधन की सरकार चल रही थी, लेकिन रमजान के महीने में सीजफायर के बाद घाटी में हालात बद से बदतर हो गए। उस दौरान हमारी सेना ने हथियार का इस्तेमाल नहीं किया और कई सैनिकों को शहादत देनी पड़ी। राज्य में सीजफायर सरकार की गुजारिश पर किया गया था। उसके बाद केंद्र की बहुत अधिक किरकिरी हुई। अपनी किरकिरी से बचने के लिए भाजपा ने पीडीपी के साथ गठबंधन खत्म करने का ऐलान कर दिया उसके बाद जम्मू में महबबूा मुफ्ती की सरकार अल्पमत में आ गई। उसेक बाद यह कयास लागाया जाने लगा कि शायद कांग्रेस पीडीपी के साथ मिलकर राज्य में सरकार बना ले, लेकिन कांग्रेस ने इसको नकार दिया है।
मीडिया से बात करते हुए, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने दावा किया कि घाटी की स्थिति को खराब करने के बाद बीजेपी ने पीडीपी के साथ गठबंधन समाप्त कर दिया था।
उन्होंने कहा, “जो कुछ भी हुआ है वह अच्छा है। जम्मू-कश्मीर के लोगों को कुछ राहत मिलेगी। बीजेपी ने तो कश्मीर को बर्बाद कर दिया है और तबाह करने बाद बाहर निकाल गई है। इन तीन वर्षों के दौरान जितने नागरिक और सेना के लोग मारे गए उतने कभी नहीं मारे गए थे।
इस बीच, महाराष्ट्र में बीजेपी की यहयोगी शिवसेना ने इस कदम का स्वागत किया है।
शिवसेना नेता ने कहा, “यह गठबंधन राष्ट्रव्यापी तौर पर अश्वाभाविक था। हमारे पार्टी अध्यक्ष ने कहा था कि यह गठबंधन काम नहीं करेगा। अगर वे इसके साथ जारी रहता, तो उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में जवाब देना पड़ा।
इससे पहले, उस दिन बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर में मेहबूबा मुफ्ती के पीडीपी के साथ गठबंधन से बाहर निकाला था।
बीजेपी के महासचिव राम माधव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए घोषणा की, “हमने एक निर्णय लिया है, भाजपा जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ गठबंधन जारी रखने के लिए अस्थिर है, इसलिए हम वापस ले रहे हैं।”
माधव ने कहा कि राज्य में आतंकवाद, हिंसा और कट्टरपंथिता बढ़ी हैं और घाटी में नागरिकों के मौलिक अधिकार खतरे में हैं। शुजात बुखारी की हत्या एक उदाहरण है।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पीडीपी के 28 विधायक थे, जबकि बीजेपी के पास 25 थे। सरकार बनाने के लिए 45 विधायकों की जरूरत होती है, क्योंकि राज्य में कुल 89 सीटें हैं।