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जानें क्यों-आर्टिफिशियल ज्वैलरी ने ली गोल्ड की जगह

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अलीगढ़ में बढ़ती लूट-स्नैचिंग की घटनाओं के डर से महिलाएं गोल्ड की जगह आर्टिफिशियल की ओर हो रही है। गोल्ड-डायमंड की ज्वैलरी पहनने से महिलाओं को अपनी जान का डर लगने लगा है। गोल्ड और डायमंड ज्वैलरी से हटकर आर्टिफिशियल ज्वैलरी की मांग में इजाफा हुआ है।

एक दौर हुआ करता था, जब महिलाएं हर वक्त सोने के आभूषणों को पहना करती थी। सिर से पांव तक तमाम तरह की गोल्ड और डायमंड की ज्वेलरी प्रयोग में लाया करती थी। किसी विशेष मौके पर तो मानो महिलाओं के लिए गोल्ड और डायमंड के आभूषण कपड़ों की तरह साज-शृंगार में प्रयोग करना विशेष हुआ करता था। सोने-हीरो के आभूषण ही ज्यादा प्रयोग में लाये जाते थे।

लेकिन जैसे ही समय में परिवर्तन हुआ, तो चांदी प्रचलन में आ गई। चांदी के आभूषणों ने अपनी जगह बनानी शुरू हुई, जबकी महिलाएं सिर्फ और सिर्फ चांदी पैरों में पहना करती थी।

चांदी ने भी अपनी पकड़ बनाई और पैरों से ऊपर महिलाओं की कमर में सजने लगी, लेकिन धीरे-धीरे हीरे के जवाहरात लोगों की हैसियत से आगे बढ़ने लगे, तो सोने के साथ-साथ चांदी भी बराबरी करने लगी।

पिछले कुछ वर्ष पूर्व आर्टिफिशियल ज्वेलरी भी प्रचलन में आ गई। अब समय इतना बदल गया, की सोने-हीरे-चांदी की ज्वेलरी को पछाड़ते हुए आर्टिफिशियल ज्वेलरी दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करने लगी और महिलाएं सोने और गोल्ड की ज्वेलरी को छोड़कर आर्टिफिशियल ज्वेलरी का प्रयोग करने लगी है।

लेकिन जब आर्टिफिशियल ज्वेलरी की बढ़ती डिमांड को लेकर जब जांच हुई। तो कुछ ऐसे तथ्य सामने आए, जिन्होने पुलिस प्रशासन पर सवाल खड़े कर दिए। क्योंकि हीरे जवाहरात महंगे होने के कारण लोगों की पकड़ से दूर हो गए, लेकिन सोने चांदी के आभूषणों का  ना प्रयोग पिछे महिलाओं डर सामने आया, दरअसल प्रदेश में लूट, स्नैचिंग और डकैती जैसी हर रोज होने वाली घटनाओं ने महिलाओं के दिमाग पर सीधा असर किया है।

महिलाओं को सड़क पर चलते हुए, बच्चों को स्कूल छोड़ने जाते वक़्त, मॉर्निंग वॉक करते हुए, बाजार में घूमते हुए, घर के दरवाजे पर खड़े होने और किसी भी पार्टी में सोने और गोल्ड की ज्वैलरी पहने से डर लगने लगा है। यही कारण है, कि महिलाओं ने आर्टिफिशियल ज्वेलरी की और अपना रुख कर लिया है।

हिन्द न्यूज टीवी के लिए अलीगढ़ से अजय कुमार

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