दिल्ली में संवैधानिक संकट गहराता जा रहा हैं, दिल्ली के सीएम बीते 7 दिनों से राज्यपाल के घर धरने पर बैठे हैं। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल एलजी और पीएम मोदी पर लगातार काम न करने देेने का आरोप लगा रहे है। वहीं इस सियासी ड्रामे के बीच दिल्ली के सीएम के समर्थन में कई राज्यों के सीएम और पूर्व सीएम तक आ गए यहीं नहीं कई विपक्षी पार्टियों ने भी दिल्ली के सीएम अरविंद की मांग को सही माना हैं।
अरविंद केजरीवाल की मांग पर सुलगते सवाल
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल लगतार दिल्ली के पूर्ण राज्य के मुद्दे पर एलजी और केंद्र सरकार पर हमलावर हो रहे हैं। अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एलजी पर आरोप लगाते हुए कह रहे हैं की दिल्ली की सरकार को दिल्ली के मुख्यमंत्री चला नहीं पा रहे है। अधिकारी मंत्रीयों द्वारा बुलाई गई बैठक में मौजूद नहीं होते, दिल्ली के आईएएस अधिकारी एलजी के इशारे पर कार्य कर है। अगर अरविंद केजरीवाल के इन दावों पर हकीकत मान लिया जाए तो उससे एक के बाद एक कई सावल खड़े होते है।
सबसे पहला सवाल तो यहीं खड़ा होता है की क्या दिल्ली में अब तक जो सीएम रहे हैं, वो भी इसी तरह से एलजी और आईएएस अधिकारी के इशारों पर नाचते रहे हैं, जिसका अरविंद केजरीवाल रोना रो रहे हैं। इसका जवाब खोजने के लिए इतिहास के पन्नों को ज्यादा पलटना नहीं पड़ेगा। आज ही दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित ने आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल पर हमला करते हुए कहा की दिल्ली की इस समस्या के लिए सीएम खुद ही जिम्मेदार है। शीला दीक्षित ने इसके साथ ही केजरीवाल को नसीहत देते हुए कहा की कोई भी सरकार कायदे कानून से चलती हैं, आपको जो मन आयेगा वो आप नहीं कर सकते।
#WATCH: Former Delhi CM Sheila Dikshit says, ‘Delhi govt should work according to the existing rules & provisions. They cannot do whatever they want to’. pic.twitter.com/eA06qrAhTq
— ANI (@ANI) June 17, 2018
शीला दीक्षित जो कह रही हैं अगर वहीं सच्चाई हैं तो ऐसे में एक सवाल और खड़ा होता है की क्या जिन सीएम ने और विपक्षी पार्टियों नें अरविंद की मांग का समर्थन किया है वो सिर्फ राजनीति ही कर रहे है, देखने में तो ऐसा ही लग रहा है। क्योंकि जिन चेहरों ने आज अरविंद केजरीवाल की मांग का समर्थन किया हैं उसमें एक चेहरा कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी का भी है। जिनके तिलक समारेह में विपक्षी एकता की एक नई तस्वीर सामने आयी थी। अरविंद केजरीवाल की दिल्ली की पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग पर सभी विपक्षी पार्टियों का एक होना क्या उसी विपक्षी एकता का एक नई तस्वीर पेश करती है, जिससे बीजेपी को आने वाले दिनों में खतरा हो सकता है। औऱ क्या यह एक दूसरे को समर्थन का दौर 2019 के आम चुनावों तक रहेगा।
अरविंद केजरीवाल लगातार आईएएस अधिकारीयों पर अरोप लगा रहे है की आईएएस अधिकारी सरकार का सहयोग नहीं कर रहे है। एलजी जब भी कोई मींटिग बुलाते हैं उसमें दिल्ली सरकार के मंत्रीयों के साथ साथ दिल्ली के तमाम संबधित विभाग के अधिकारीयों के साथ साथ दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश भी शामिल होते हैं। वहीं आप के नेता सौरभ भारद्वाज दस्तावेजों के साथ सामने आते है और बताते है की कैसे आईएएस अधिकारीयों ने सरकार द्वारा बुलाई गई मीटिंग का बहिष्कार कर रखा हैं।
Here is a documented proof about IAS officers strike. Even @LtGovDelhi will have hard time to define the Environment Minister’s meeting on Delhi Pollution as ‘routine meeting’ or ‘personal meeting’.
IAS officers boycotted this important meeting on alarming pollution levels. pic.twitter.com/GEUCBAQKO0
— Saurabh Bharadwaj (@Saurabh_MLAgk) June 15, 2018
दिल्ली में बीते सोमवार से हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ा हुआ हैं, दिल्ली में 30 जून के बाद से पानी का संकट गहरा सकता।
ऐसेे में ममता बनर्जी का दिल्ली वालों के लिए यह बात सही साबित होती है की दिल्ली में संवैधानिक संकट है और उसका खामियाजा दिल्ली की जनता को भुगतना पर रहा हैं।