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उत्तराखंड: आज भी लोगों के जेहन में जिंदा हैं केदारनाथ की त्रासदी के वो दृश्य

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उत्तराखंड के सबसे पावन धाम केदारनाथ धाम में आज से 5 साल पहले यानि 16-17 जून, 2013 में जलप्रलय आने से एक खौफनाक मंजर देखने को मिला था। इस दिन आसमान से आफत बरसी थी, जिसने पूरी केदार घाटी को तबाह कर दिया था। इस मंजर को आज भी लोग भूल नहीं पाए हैं।

आज भी नहीं भूलते लोग खौफनाक मंजर
जिन लोगों ने ये मंजर अपनी आंखों से देखा था वो आज भी उस घटना को नहीं भुला पाते। वहीं अब इस त्रासदी के 5 साल बाद हालात कुछ सामान्य होने लगे हैं। धाम की रौनक एक बार फिर लौटने लगी है। वहीं इस त्रासदी में लगभग 50 हजार से ज्यादा व्यक्ति लापता हो गए और 110000 लोगों को सेना ने बचाया।

गौरीकुंड समेत कई जगह हुई थी तबाह
केदारनाथ ही नहीं आसमान से बरसी आफत ने रामबाड़ा, गौरीकुंड, सोनप्रयाग, चंद्रापुरी, अगस्त्यमुनि और श्रीनगर जैसे इलाकों में भी जमकर तबाही मचाई। 35 साल के रघुबीर सिंह बिष्ट बताते हैं कि वो हर साल जिला पंचायत की तरफ से लीज पर दिया गया गेस्ट हाउस चलाते हैं। उन्होंने अपने मोबाइल में इस त्रासदी के कुछ पल कैद किए, लेकिन वो आज भी कहते हैं कि उन्होंने जो झेला और देखा उसके बाद उन्हें लगता नहीं कि वो जिंदा हैं।

18 महीने बाद ढूंढ़ा पत्नी को
राजस्थान के भीकमपुरा के रहने वाले विजेंद्र अपनी पत्नी लीला और 30 लोगों के साथ केदरानाथ गए थे। जहां उनकी पत्नी उनसे बिछड़ गई, जिसके बाद परिजनों ने लीला को मरा हुआ मान लिया। लेकिन विजेंद्र ने उम्मीद नहीं छोड़ी और अपनी लीला को ढूंढ़ने वो निकल पड़ा। वहीं जब लोगों से पता किया तो पता चला की एक पागल महिला गंगोली गांव में देखी गई है, जिसके बाद विजेंद्र उस औरत से मिला और वो लीला ही थी। विजेंद्र ने लीला को 18 महीने में 6 लाख रुपये खर्चकर ढूंढा।

अब फिर लौटी धाम की रौनक
वहीं बाबा के धाम को नया रंग रूप देने की कोशिशें भी तेज हो गई हैं। हालांकि, 2013 में आई त्रासदी के बाद भी बाबा के दर पर भक्तों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है। लोगों की श्रद्धा पहले जैसी ही बनी हुई है।

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