लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे हैं और कमोबेश स्थिति जस की तस बनी हुई है जैसी पिछली सरकार के दौरान थी। फर्क केवल इतना आया है कि उस समय भाजपा के लोग कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा करते और आज समाजवादी पार्टी की तरफ से इस पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। कहने का मतलब है कि राज्य में केवल सत्ता परिवर्तन हुआ है। बलात्कार, लूट, हत्या, छिनैती और अवैध वसूली का काम घटने की बजाय बढ़ गया है।
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पहले ही कह चुके हैं कि राज्य में भ्रष्टाचार चरम पर है। पहले अगर किसी काम के बदले 500 रुपये लिए जाते थे तो आज उसका रेट बढ़कर 5000 रुपये हो चुका है।
वहीं, आज अखिलेश ने प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र की एक सरेआम लूट की घटना की एक फोटो ट्वीट करते हुए कहा है कि प्रधान संसदीय क्षेत्र में सरेआम लूट हुई है। जहां एक तरफ यह दावा किया जा रहा है कि प्रदेश में बदमाश एनकाउंटरवाली सरकार से आतंकित हैं, तो दूसरी तरफ सरेआम लूट से उच्चाधिकारी अपने विभाग पर ही सवाल खड़े कर रहे हैं। शासन-प्रशासन एक दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं और दिल्ली वाले चुप्पी साधे हैं और लखनऊ वाले खामोश हैं।
इसी बीच, हर रोज कहीं न कहीं से रेप और छेडछाड़ की खबरे लगातार आ रही हैं, जिससे सरकार की मंशा पर सवालिया निशान लगना लाजिमी है। सरकार एक तरफ तो अपराधियों के एनकाउंटर का दावा करती है, तो दूसरी यह सवाल भी खड़े होते हैं कि सरकार अपने दावे में कितनी सफल और कितनी सच्चाई है और उसकी मंशा क्या है?
अभी हाल ही में उन्नाव में नाबालिग लड़की के साथ विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के रेप किये जाने को लेकर सरकार के अंदर मतभेद था। सरकार विधायक को बचाने में लगी हुई थी। लेकिन मामला मीडिया में आने के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने संज्ञान लिया और मामले को सीबीआई के हवाले कर दिया। उसके बाद देश भर में सरकार की किरकिरी हुई।