लाहौर। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ से गुरुवार को अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया था, लेकिन वे अदालत में उपस्थित नहीं हो सके, जिसकी वजह से अदालत ने उनके नामांकन पत्र दाखिल करने के अधिकार को खारिज कर दिया।
शीर्ष अदालत ने पिछले हफ्ते एक आदेश जारी किया था, जिसके अनुसार मुशर्रफ को 25 जुलाई के आम चुनावों के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की इजाजत थी, बशर्ते वह 14 जून को पहले वे अदालत के समक्ष पेश हों।
मुशर्रफ ने फिर एनए -1 चित्राल से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था लेकिन गुरुवार को दोपहर 2 बजे अदालत में उपस्थित होने में नाकाम रहे।
पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश (सीजेपी) न्यायमूर्ति मियान साकिब निसार ने पहले कहा था, यदि वह उपस्थित नहीं होते हैं तो उनके खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
मुशर्रफ के वकील कमर अफजल ने उन्हें अदालत में पेश होने कराने के लिए कोर्ट से गुजारिश की।
अखिल पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एपीएमएल) के महासचिव डॉ अमजद ने सीजेपी को बताया कि पूर्व राष्ट्रपति अदालत से नई तिथि पाने की कोशिश कर रहे थे।
सर्वोच्च न्यायालय की चार सदस्यीय खंडपीठ ने 2013 में पेशावर उच्च न्यायालय द्वारा अयोग्यता के खिलाफ मुशर्रफ की समीक्षा याचिका को सुना।
गौरतलब है कि दुबई में वर्तमान में मुशर्रफ मार्च 2016 से चिकित्सकीय उपचार के तर्क पर पाकिस्तान वापस नहीं लौटे हैं। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पूर्व राष्ट्रपति जनरल (सेवानिवृत्त) परवेज मुशर्रफ से गुरुवार दोपहर तक अदालत में पेश होने के लिए कहा और पूछताछ की कि कैसे सेना का कमांडो इतना डर सकता है कि वह अपने देश में वापस लौटने से ही इंकार कर दे।
सीजेपी ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट मुशर्रफ के नियमों से बंधा नहीं है,” हमने पहले ही कहा है कि यदि मुशर्रफ वापस आते हैं, तो उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाएगी। हम इस संबंध में एक लिखित गारंटी भी प्रदान करने के लिए बाध्य नहीं हैं। ”
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “अगर परवेज मुशर्रफ कमांडो हैं, तो उन्हें राजनेता की तरह लगातार तोते की तरह रट लगाना चाहिए कि हमें वापस लौटना है और वह वापस आ जाएंगे।”