लाहौर। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पूर्व राष्ट्रपति जनरल (सेवानिवृत्त) परवेज मुशर्रफ से गुरुवार दोपहर तक अदालत में पेश होने के लिए कहा और पूछताछ की कि कैसे सेना का कमांडो इतना डर सकता है कि वह अपने देश में वापस लौटने से ही इंकार कर दे।
सर्वोच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीशीय खंडपीठ की अध्यक्षता में मुख्य न्यायाधीश साकिब निसार ने 2013 में पेशावर उच्च न्यायालय द्वारा उनके अयोग्यता के खिलाफ मुशर्रफ की समीक्षा याचिका की सुनवाई फिर से शुरू की।
मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि पूर्व सैन्य शासक को देश में गुरुवार को 2 बजे तक वापस आ जाना चाहिए और कहा कि अगर अदालत में नहीं पहुंते हैं तो अदालत कानून के अनुसार फैसला पारित करेगी।
सीजेपी ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट मुशर्रफ के नियमों से बंधा नहीं है,” हमने पहले ही कहा है कि यदि मुशर्रफ वापस आते हैं, तो उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाएगी। हम इस संबंध में एक लिखित गारंटी भी प्रदान करने के लिए बाध्य नहीं हैं। ”
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “अगर परवेज मुशर्रफ कमांडो हैं, तो उन्हें राजनेता की तरह लगातार तोते की तरह रट लगाना चाहिए कि हमें वापस लौटना है और वह वापस आ जाएंगे।”
“मुशर्रफ को सुरक्षा की आवश्यकता क्यों है, वह इतना डरते हैं कि कैसे कोई कमांडो इतना डर सकता है? मुशर्रफ ने कहा है कि कई बार वे मौत से बच निकले हैं, लेकिन कभी डर नहीं लगा।
मार्च 2016 में दुबई जाने के बाद से पाकिस्तान वापस नहीं आए मुशर्रफ ने पेशावर उच्च न्यायालय (पीएचसी) के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दो साल पहले याचिका दायर की थी, जिसने उन्हें जिंदगी भर के लिए राजनीति से अयोग्य घोषित कर दिया था।
गौरतलब है कि परवेज़ मुशर्रफ़ पाकिस्तान के राष्ट्रपति और सेना प्रमुख रह चुके हैं। इन्होंने साल 1999 में नवाज़ शरीफ की लोकतान्त्रिक सरकार का तख्ता पलट कर पाकिस्तान की बागडोर संभाली और 20 जून, 2001 से 18 अगस्त 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे।