मंगलवार को मध्य प्रदेश से आई एक खबर ने सबको चौंका दिया क्योंकि आध्यात्मिक गुरू भय्यूजी महाराज ने अपने आवास पर खुद को गोली मार ली थी। वहीं इसके बाद उनका सुसाइड नोट भी सामने आया, जिसमें उन्होंने बताया कि ‘पारिवारिक जिम्मेदारियों को संभालने के लिए किसी को वहां होना चाहिए। मैं बेहद परेशान हूं और तनाव के साथ जा रहा हूं।’ वहीं कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह का कहना है कि वो वो नर्मदा में हो रहे अवैध खनन को लेकर काफी परेशान थे।
वहीं मध्य प्रदेश सरकार पांच संतो को पहले ही राज्यमंत्री का दर्जा देकर उन्हें सरकारी सुविधायें मुहैया करा रही है। अब स्वामी अखिलेश्वरानंद को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। इसके पहले जिन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया था। उनमें नर्मदानंद महाराज, हरिहरनंद महाराज, कंप्यूटर बाबा, भय्यू महाराज और पंडित योगेंद्र महंत शामिल हैं। इन संतों या धार्मिक नेताओं को राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया उसको लेकर सरकार की किरकरी भी हुई थी।
कौन थे भय्यू जी महराज?
भय्यू जी महाराज की पहचान एक राजनीतिक संत के तौर पर होती है। उनका असली नाम उदय सिंह देशमुख है। वह प्रदेश के शाजापुर जिले के मूल निवासी हैं। इंदौर में उनका एक भव्य आश्रम है। उनके पहले ससुर महाराष्ट्र के बड़े कांग्रेस नेता हैं। एक जमाने में इंदौर में उनका आश्रम नेताओं का सबसे “सिद्ध” स्थान माना जाता था। साथ ही महाराष्ट्र में वो कई सामाजिक संगठन भी चलाते हैं। पिछले दिनों वह तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने अपनी जान को खतरा होने की बात कही थी।