बेंगलुरू। कर्नाटक का नाटक अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है। कुमारस्वामी के शपथ लेने के बाद से विभागों के बंटवारे को लेकर कांग्रे-जेडीएस में रस्साकशी अभी भी चल रही है। पहले तो यह कहा गया कि राहुल गांधी के विदेश से लौटने के बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा, लेकिन राहुल गांधी के हस्तक्षेप के बाद भी कर्नाटक का नाटक थमने का नाम नहीं ले रहा है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने शुक्रवार को पुष्टि की कि राज्य कैबिनेट में पोर्टफोलियो के बंटवारे को लेकर कांग्रेस नेताओं के बीच तनाव अभी भी बरकरार है। हालांकि, नव निर्वाचित मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि कांग्रेस पार्टी इस संबंध में सही निर्णय लेगी।
बता दें, 7 जून को, कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने विरोधियों की तरह से सरकार का विरोध किया, क्योंकि रोशन बेग और रामलिंगा रेड्डी को मंत्री के बराबर का ओहदा नहीं दिया गया।
जबकि कांग्रेस को 22 मंत्रालय दिये गए हैं, जिसमें गृह, सिंचाई, स्वास्थ्य, कृषि और महिला और बाल कल्याण मंत्रालय शामिल हैं। वित्त और उत्पाद, सार्वजनिक निर्माण विभाग, शिक्षा, पर्यटन और परिवहन मंत्रालय समेत 12 मंत्रालय जनता दल (सेक्युलर) को आवंटित किए गए थे।
बेग और रेड्डी के अलावा, कैबिनेट से हटाए गए कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार उम्मीदवारों में एमबी पाटिल, दिनेश गुंडू राव, एचके पाटिल, श्याम्नूर शिवशंकरप्पा, तनवीर सैट, सतीश जाखिहोली, एनए हैरिस, डॉ सुधाकर, रहीम खान, भिरती बसवराजु, एस शिवल्ली, सतीश जराकिहोली, ईश्वर खंडरे और एमटीबी नागराज का नाम शामिल है।
गौरतलब है कि 12 मई को कर्नाटक में चुनाव करवाये गए थे और 15 मई को नतीजे आए, जिसमें भारतीय जनता पार्टी को 104 सीटें मिलीं और यह राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। कांग्रेस को 78 सीटें मिलीं और जेडीएस को 37 सीटें नसीब हुई। एक सीट पर बसपा, एक सीट पर क्षेत्रीय पार्टी और एक सीट पर निर्दलीय को विजय मिली थी। राज्य की सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते भाजपा को सरकार बनाने का राज्यपाल की तरफ से न्यौता मिला, लेकिन येदियुरप्पा ने शपथ लेने के बाद बहुमत साबित करने में नाकामयाब रहे। उसके बाद जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन को सरकार बनाने का न्यौता मिला और कुमारस्वामी ने सीएम पद की शपथ ली।