जब बात जमीन की होती है तो अपने ही अपनों की जान के दुश्मन बन जाते हैं और इसानियत शर्मसार हो जीती है। ऐसा ही कुछ नजारा तहसील बड़ौत में देखने को मिला। जहां एक पक्ष दूसरे पक्ष की जान का दुश्मन बन गया वो भी सिर्फ जमीन को लेकर।
इस हादसे ने ये बात तो साफ कर दी कि जमीने के एक टुकड़े के सामने इंसान की जान की भी कोई कीमत नहीं है।