नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को जनता दल (यूनाइटेड) के बागी नेता राज्यसभा सांसद शरद यादव के अयोग्यता के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश में आंशिक रूप से संशोधन किया और कहा कि वह अपना सरकारी आवास बरकरार रख सकते हैं, लेकिन वेतन और अन्य लाभ के हकदार नहीं होंगे। अब उन्हें जहाज का टिकट और रेल टिकट आदि की सुविधा नहीं मिलेगी।
सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाले जनता दल (यूनाइटेड) द्वारा दाखिल की गई एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसके द्वारा शरद यादव को नई दिल्ली में अपना आधिकारिक निवास बरकरार रखने की इजाजत दी गई।
जेडी (यू) के राज्यसभा सदस्य राम चंद्र प्रसाद सिंह द्वारा दायर की गई याचिका में शरद यादव को दिल्ली के सरकारी बंगले से हटाने की मांग की थी।
शीर्ष अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय से राज्यसभा से अयोग्यता को चुनौती देने के लिए यादव की याचिका पर तुरंत सुनवाई करने के लिए कहा है।
राम चंद्र प्रसाद सिंह ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 15 दिसंबर के आदेश को चुनौती दी थी जिसके द्वारा उसने राज्यसभा सांसद के रूप में यादव के अयोग्यता पर अंतरिम आदेश देने से इंकार कर दिया था, लेकिन आवेदक की लापरवाही की वजह से भत्ते लेने और अपने सरकारी बंगले को बरकरार रखने की इजाजत दे दी थी।
4 दिसंबर को ऊपरी सदन से अयोग्य घोषित होने के बाद शरद यादव ने 13 दिसंबर को अदालत में याचिका दायर की थी।
शरद यादव ने तर्क दिया था कि उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, जो राज्यसभा के अध्यक्ष भी हैं, उनके अयोग्यता आदेश पारित करने से पहले उनके पक्ष की सुनवाई नहीं की थी।
गौरतलब है कि राज्यसभा सांसद शरद यादव और अली अनवर को 4 दिसंबर को जेडी (यू) अयोग्य घोषित कर दिया था। जेडीयू का कहना था कि उन्होंने पार्टी के निर्देशों का उल्लघंन करके पटना में विपक्षी दलों की एक रैली में भाग लिया था।