अयोध्या। अयोध्या से आज एक नया मामला सामने आया है। राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य एस दास ने कहा है कि राम के साथ भारतीय जनता पार्टी ने एक तरह से धोखा किया है। राम के नाम से पार्टी सत्ता में आई और फिर राम को ही भूल गई। अगर भाजपा को 2019 में फिर से सत्ता में वापसी करनी है तो सरकार को राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करना पड़ेगा, नहीं तो 2019 में चुनाव जीतना उनके लिए बहुत टेढ़ी खीर होगी।
आपको बता दें, एक कहावत है जब किसी के बुरे दिन आते हैं तो ऊंट पर बैठे हुए उस व्यक्ति को भी कुत्ता काट लेता है। इस समय केंद्र की सत्ताशीन सरकार के साथ ऐसा ही कुछ देखा जा रहा है। उसके घटक दलों से लेकर हर कोई आंखे तरेर रहे हैं, क्योंकि अगले साल आम चुनाव जो होने वाले हैं और भारतीय जनता पार्टी देशभर में हो रहे उपचुनाव हारती जा रही है। इसलिए डूबती हुई नाव पर कोई सवार नहीं होना चाह रहा है।
उपचुनाव में मिली हार के बाद से खुद भाजपा के अंदर अंतरकलह बढ़ता जा रहा है। साथ ही जितने एनडीए के घटक दल हैं वे भी लगातार आंखे दिखा रहे हैं। कभी बिहार में नीतीश कुमार भाजपा की जीती हुई सीटें मांगने लगते हैं तो कभी महाराष्ट्र में एनडीए का हिस्सा शिवसेना आंखे तरेरने लगती है।
उत्तर प्रदेश में तो हाल ही कुछ जुदा हैं। भाजपा सांसद सावित्री बाई फुले तो पार्टी के खिलाफ मानो बगावत का बिगुल ही फूंक दी हैं। एक अप्रैल को अपनी ही सरकार के खिलाफ लखनऊ में रैली कर चुकी हैं।
इसके अलावा कैराना व नूरपुर में हुई हार के बाद योगी जब हरोदोई पहुंचे थे तो विधायक गोपामऊ श्याम प्रकाश ने एक कविता के माध्यम से तंज कसा था, सीएम पर की गई इस टिप्पणी को लोग उसी से जोड़कर देख रहे है।
भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी पार्टी भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर ने तो सोमवार यह कह दिया कि राज्य में जनादेश केशव प्रसाद मौर्या को मुख्यमंत्री बनाने के लिए मिला था औऱ मुख्यमंत्री योगी को बना दिया गया, जिसकी वजह से जनता में असंतोष है और वो हमसे उपचुनावों में बदला ले रही है।
उपचुनावों में मिली हार को भारतीय जनता पार्टी पचा नहीं पा रही है। उत्तर प्रदेश में 15 साल बाद 15 महीने पहले सत्ता में वापस आई थी, लेकिन उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं रहा होगा कि इतनी जल्दी पार्टी और सरकार की छवि इतनी अधिक खराब हो जाएगी।