आपको याद है जगदलपुर झीरम, कोई भूल भी नहीं सकता। लेकिन लगता है सरकार और ‘विकास’ दोनों को इस गांव का रास्ता नहीं पता।पांच साल पहले भयानक और अबतक के सबसे बड़े नक्सली हमले के बाद झीरम का नाम पूरे देश को याद हो गया है।पांच साल बीत गए लेकिन इस गांव के हालात नही बदले।नक्सल प्रभावित झीरम के लोग ‘जहर’ पीने को मजबूर हैं।जल संकट ने यहां के लोगों को गंदा और उपयोग न करने लायक पानी पीने को मजबूर कर दिया है।गड्ढो का पानी पीकर लोग यहां गुजारा कर रहे हैं।विकास यात्रा निकाल रहे सीएम रमन सिंह को इनके गांवों का हाल देखना चाहिए।सीएम को ये महसूस करना चाहिए कि जिनके पास बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं वो सड़कों और भवनों का क्या करेंगे।
झीरम के रहने वाले एक ग्रामीण का कहना है कि गांव में न ही शौचालय हैं, न स्वास्थ्य व्यवस्था और न शिक्षा व्यवस्थ।केंद्र सरकार की स्वच्छ भारत योजना यहां औंधे मुंह गिरी पड़ी है।इस कड़ी दोपहरी में लोग मीलों चलते हैं कि प्यास बुझाने को पानी मिल जाए।प्रदेश के कई दूरस्थ गांवों से ऐसी तस्वीरें सामने आती रहती हैं। ऐसे में भी सीएम रमन सिंह कहते नही थकते की हम हर गांवों को डीजीटल बना रहे है क्योंकि झीरम के लोगों के लिए यह बस मजाक भर है।
हिन्द न्यूज टीवी के लिए ब्यूरो रिर्पोट के साथ नीतीन इन्गले