केंद्रीय जांच ब्यूरो यानि सीबीआई ने विशेष न्यायाधीश ओ.पी. सैनी को पूर्व दूरसंचार मंत्री और द्रविड़ मुनेत्र कझागम (द्रमुक) पार्टी के नेता ए. राजा से जुड़े 2जी स्पेक्ट्रम मामले में अपना फैसला देने के दौरान दिशाहीन और भिन्न होने का आरोप लगाया है। इस साल मार्च में दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष दायर अपनी अपील में सीबीआई ने कहा था कि विशेष न्यायाधीश ओ.पी. सैनी ने पिछले दिसंबर में 2जी मामले में अपना फैसला देने के दौरान “अपना दिमाग इस्तेमाल नहीं किया था”। पिछले दिसंबर में 2जी मामले में अपना फैसला देने के दौरान उन्होंने राजा और अन्य लोगों को बरी कर दिया था।
सीबीआई ने आगे कहा कि विशेष न्यायाधीश सैनी ने सभी आरोपियों के बयान को “सुसमाचार सत्य” के रूप में लेने और भौतिक साक्ष्य के साथ-साथ विश्वसनीय गवाहों के बयान को अनदेखा करने की गलती की थी। विशेष न्यायाधीश सैनी ने 21 दिसंबर 2017 को यूनिटेक के प्रबंध निदेशक संजय चन्द्र, डी बी रियल्टी प्रमुख शाहिद बलवा और अन्य सहित राजा और उनके पार्टी सहयोगी कनिमोझी और कई शीर्ष कॉर्पोरेट प्रतिष्ठानों को बरी कर दिया था, जबकि सीबीआई पर इस मामले को सही साबित करने में विफल होने का आरोप लगाया था। साथ ही उन्होंने यह भी निष्कर्ष निकाला कि सीबीआई द्वारा आरोपी के खिलाफ दायर आरोप “अफवाह, गपशप और अटकलों” पर आधारित थे।
दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष सीबीआई ने याचिका में आगे कहा कि न्यायाधीश सैनी ने सॉलिसिटर जनरल जी. ई. वहनवती, पूर्व दूरसंचार सचिव डी. एस. माथुर और राजा के पूर्व अतिरिक्त निजी सचिव अशरथथम आचार्य सहित विश्वसनीय गवाहों के साक्ष्यों समेत 200 करोड़ के ट्रांजैक्शन को पूरी तरह नजरअंदाज किया।