कान्हा की नगरी में हुए लोमहर्षक जवाहरबाग कांड को आज दो साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान यमुना में काफी पानी बह चुका हैं। इस दौरान प्रदेश में सत्ता परिवर्तन भी हुआ और जो नेता जवाहरबाग कांड के समय सत्ता में थे वह आज विपक्ष में हैं और जो विपक्ष में थे वह सत्तासीन हो चुके हैं। लोग धीरे धीरे जवाहरबाग के दोनों जाबाज पुलिस अफसरों की शहादत को भी भूलने लगे हैं, दो जून नहीं होता तो हम उन्हें शायद ही याद कर रहे होते। इस बीच जवाहरबाग कांड की दूसरी बरसी पर जवाहरबाग पहुंचे शहीद तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ फरह संतोष यादव के परिजनों का दर्द झलक उठा। शहीदों के परिजनों को इस बात की पीड़ा है कि उनकी शहदात को उचित सम्मान नहीं मिला है। शहीद मुकुल द्विवेदी की पत्नी, ने जवाहरबाग में वृक्षा रोपण करने के बाद कहा कि राष्ट्रपति पुलिस पदक या कोई उचित सम्मान भी तो मिलना चाहिए था, कम से कम मरने के बाद भी आत्मा को संतुष्टि मिले कि मैने जिस कर्तव्य के लिए जान दी उससे मुझे कुछ हासिल हुआ, उचित सम्मान मिला। अभी तक में इंतजार कर रही थी कि सरकार अपनी तरफ से कुछ करे। मुझे इस तरह के प्रोपेगंडा का कोई का शौक नहीं है में कभी मीडिया के सामने नहीं आई। मुझे बेचैनी होती है कि हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं, भुला दिया गया है कुछ नहीं होता कोई सुगबुहाट नहीं, इसी लिए मुझे यहां आना पड़ा मथुरा की भूमि से ही गुजार लगाऊंगी। आज मुझे आना पड़ा चूंकि मुझे न्याय चाहिए, अपने पति के लिए सम्मान चाहिए जिसके वह हकदार हैं।
जवाहर बाग कांड की दूसरी बरसी आज, दो जून 2016 को दो पुलिस अधिकारियों सहित 29 लोगो की मौत दो गई थी जवाहर बाग को खाली कराने के दौरान। 2014 में राम ब्रक्ष यादव ने हजारों समर्थकों के साथ जवाहर बाग में अपना कब्जाया जमाया था। दो साल बीत जाने के बाद भी जवाहर बाग की जांच अभी भी अधूरी हैं। सीबीआई बीते एक साल से उच्च न्यायालय के आदेश पर घटना की जांच कर रही हैं। अभी तक जांच में सीबीआई के हाथ खाली हैं, न्यायालय में विचारधीन मुकदमों में 30 गवाह मुकर गये। 21 मुकदमों में 150 से अधिक गवाह को कोर्ट में पेश नहीं कर सकी। मथुरा के सदर थाना इलाके में जबाहर बाग को खाली कराते समय दंगाइयों की गोली लगने से एस पी सिटी सहित दो पुलिस कर्मी हुए थे शहीद , शहीद एस पी सिटी के परिजन ने वृक्षा रोपन के साथ रक्तदान कर शहीदों को दी श्द्धांजलि।