उत्तर प्रदेश के बिजली विभाग में इन दिनो उल्टी गंगा बह रही है, जिसके चलते बस्ती के एक गांव में 70 साल से बिजली नहीं आई है, लेकिन मीटर जरूर लगा दिए गए हैं। दरअसल, हरैया विकास खंड के मजगवां गांव के लोगों को बिजली का इंतजार देश आजाद होने के पहले से है। मगर उन्हें किसी सरकार ने बिजली मुहैया नहीं कराई। बीजेपी की सरकार केन्द्र और यूपी में आई तो देश के अंतिम गांव मे भी बिजली पहुंचाने की पहल हुई। मजगवां जैसे गांवो को प्राथमिकता के आधार पर चयनित कर उन्हें बिजली सप्लाई देने की योजना बनी। मगर कहते हैं कि उत्तर प्रदेश मे सब कुछ सीधा नही होता। सरकारी विभाग के अधिकारी और कर्मचारी नियमों से नही चलते बल्कि वे खुद के बनाये नियमों का पालन करते हैं।
बिजली विभाग ने बिजली से मरहूम गांवो मे लाइट पहुंचाने के लिये ठेकेदार को टेंडर पहले ही दे दिया कि आप गांव मे जाकर मीटर लगा दीजिये। अब ठेकेदार ऐसे गांव मे पहुंच रहा है जहां कभी बिजली नही थी। ठेकेदार ग्रामीणों से 300 रुपये सरकारी फीस के तौर पर वसूल रहा है और दीवार पर मीटर टांगकर चलता बन रहा है। उपभोक्ताओं को ठेकेदार द्वारा कहा जा रहा कि दो से तीन दिन में पोल और तार लग जायेगा, लेकिन महिनों बीत गये गांव मे न तो पोल लगा और न ही तार नजर आ रहे। जब कि किसी गांव मे बिजली पहुंचाने के लिये सबसे पहले पोल लगाये जाते है और फिर पोल से तार खींचकर लोगों को बिजली दी जाती है। उसके बाद कहीं मीटर लगाने की प्रक्रिया शुरू होती है।
मगर यहां तो बिजली विभाग उल्टा काम कर रहा और बिना बिजली ही लोगों के घरों मे मीटर लगाये जा रहे हैं। गांव के लोगों का आरोप है कि जब मीटर लगाया गया तो कहा गया कि बिजली लेनी हो तो मीटर लगवा लो और 2-3 दिन में बिजली मिल जायेगी, लेकिन एक महीने बाद भी उनके गांव में बिजली नहीं पहुंची। इस गांव के दर्जनों ऐसे परिवार हैं जो झोपडी मे रहकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। ठेकेदार ने उनकी झोपड़ियों मे भी मीटर बॉक्स लगाकर वसूली की है। बहरहाल, इस मामले को लेकर हरैया के अधीशाषी अभियंता ने बताया कि मीटर लगाकर भूल जाना बेहद गंभीर है और वो इसकी जांच कराकर सबसे पहले गांव मे बिजली देंगे, उसके बाद दोषी के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी।