देश के नेताओं पर वीवीआईपी कल्चर कितना हावी हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगा लिजिए की उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री आपना बंगला खाली करने तक को राजी नहीं हो रहे थे। मामला जब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और कोर्ट के आदेश के बाद अब पूर्व सीएम अपना सरकारी बंगला खाली कर दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 7 मई को एक जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए इसे गैरकानूनी करार दिया था। तब सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि कार्यकाल के बाद जनता के सरकारी धन से ये सुविधाएं उचित नहीं हैं। बंगला न खाली करने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपनाएं गए। मायावती ने जहां बंगले को काशीराम विश्राम स्थल में तबदील करने की कोशिश की, तो वहीं अखिलेश नें बंगला खाली करने के लिए 2 साल तक का समय मांगा। लेकिन गुरूवार को उन्होंने भी बंगला खाली कर दिया। देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह तक ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अपना बंगला खाली किया था। यह सब यहीं करता हैं कि जनतंत्र में कुछ नेता किस तरह जनता के पैसा का बेजा इस्तेमाल करते हैं।
वहीं दूसरी तरफ देश के राष्टपति रामनाथ कोविंद जब अपने परिवार के साथ शिमला गए तो उन्होंने हर जगह अपने कार्ड का प्रयोग कर खुद ही पेंमेंट करी। यहां तक की जब राष्टपति को पता चला कि उनके काफिले का वजह से लोगों को परेशानियां हो रहीं हैं, तो उन्होंने अपने काफिले की गाडियों की संख्या 11 से घटाकर 4 कर दी, ताकि लोगों को कोई परेशानि न हों।
#WATCH: President Ram Nath Kovind takes a walk at Mall Road in Shimla, purchases books for his grandchildren from a bookshop, later visits a cafeteria and makes all the payments through his credit card, like a normal citizen. pic.twitter.com/Vz5bfHMhkA
— ANI (@ANI) May 22, 2018
इससे पहले भी ऐसे कई उदाहरण मैजूद हैं, कि कैसे नेता फिजूलखर्ची से बजते रहें हैं, मसलन कांग्रेस के नेता और केंद्रीय मंत्री रहे, मनीष तिवारी ने मंत्री पद पर रहते हुए कभी भी सरकारी बंगले का इस्तेमाल नहीं किया, साथ हीं मंत्री रहते हुए भी उन्होंने सरकारी गाड़ी तक का इस्तेमाल नहीं किया।