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जोकीहाट सीट पर मिली जीत से तेजस्वी गदगद, बोले- धनशक्ति पर जनशक्ति की जीत है

बिहार की जोकीहाट सीट पर मिली जीत से तेजश्वी गदगद, बोले- 'जनशक्ति ने धनशक्ति' को हराया

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पटना। देश में आज 14 सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आ रहे हैं। जिसमें से चार लोकसभा सीटें और शेष सभी सीटें विधानसभा की हैं, जो विभिन्न राज्यों की हैं। जिसमें से बिहार की जोकीहाट विधानसभा सीट भी है। इस सीट पर राजद प्रत्य़ाशी को बहुत बड़ी जीत हासिल हुई है।

राजद प्रत्य़ाशी को कुल 81240 मत मिले। जदयू प्रत्य़ाशी को 40016 मत हासिल हुए। इस तरह से हम कह सकते हैं कि बिहार सरकार के प्रति लोगों में भारी गुस्सा है। जिसकी वजह से एकतरफा मतदान हो रहा है और यह उपचुनाव ऐसे समय में कराए गए हैं जब लालू यादव जेल में हैं और इसमें उनका कोई योगदान नहीं है। तो क्या यह कहा जा सकता है कि बिहार में जो जनसमर्थन हासिल हुआ था वह महागठबंधन को मिला था न कि नीतीश कुमार जो उन्होंने पल्टी मारकर भाजपा के साथ जा मिले और उनके सहयोग से सरकार बना ली।

जोकीहाट में मिली जीत से गदगद तेजस्वी ने कहा है कि यह धनशक्ति पर जनशक्ति की जीत है। उन्होंने कहा कि राजद प्रत्य़ाशी को जितने वोट मिले हैं वो जदयू प्रत्य़ाशी को मिले वोट से दोगुने हैं। इससे साफ होता जा रहा है कि नीतीश कुमार ने जो पल्टी मारी है उसका बदला हम नहीं, बिहार के बुद्धिजीवी और मेहनती लोग ले रहे हैं।

गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को जीत मिली थी और महागठबंधन की सरकार चल रही थी। लेकिन लालू परिवार पर सरकार की तरफ से मुहैया कराए गए अभिलेखों के आधार पर भाजपा हर रोज नए खुलासे करने लगी। उसके बाद नीतीश कुमार ने यह आरोप लगाते हुए महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के सहयोग से सरकार बना ली और राजद सत्ता से बाहर हो गई।

लेकिन नीतीश और भाजपा ने राजद के साथ मिलकर जो कुछ भी किया उसको देखकर ऐसा लगता है कि सब कुछ स्क्रिप्टेड था।

आज जब चुनाव परिणाम आ रहे हैं तो उससे यह लगने लगा है कि बिहार की जनता को नीतीश की यह चाल कत्तई पसंद नहीं आई है जिसका बदला वो उनके खिलाफ वोट देकर ले रहे हैं। ऐसे में एक सवाल यह उठता है कि अब आगे नीतीश कुमार क्या कर सकते हैं, क्योंकि वे बिना सत्ता के एक पल भी नहीं रह सकते हैं। मांझी को हटाकर दोबारा मुख्यमंत्री बने थे। नीतीश कुमार को बहुत बड़े मौसम वैज्ञानकि भी हैं। माहौल को भांपकर और वे किसी से दोस्ती कर लेते हैं ताकि वे हमेशा सत्ता में बने रहें। ऐसे में अगली बार अगर उनकी पार्टी को जीत नहीं हासिल होती है तो वो क्या करेंगे, क्या भाजपा के साथ गठबंधन में बने रहेंगे या किसी और के साथ दोस्ती करके सत्ता सुख हासिल करेंगे?

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