लखनऊ। आज देश भर की चौदह सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आए हैं। कुल 14 सीटों में से भारतीय जनता पार्टी को महज दो सीटों से ही संतोष करना पड़ा है। वहीं, उत्तर प्रदेश में भाजपा की हार का देश में बहुत बड़ा संदेश गया है।
इसका यह मतलब है कि गठबंधन के आगे भारतीय जनता पार्टी का टिकना बहुत मुश्किल हो गया है। गठबंधन के सामने लगातार एक हार के बाद दूसरी हार से यह पता चल रहा है कि आप जो वादे करते हैं अगर उसे पूरा नहीं करेंगे तो इस देश की जनता आपसे तौबा कर लेगी।
कैराना और नूरपुर में मिली जीत से गदगद अखिलेश यादव ने सभी मतदाताओं का शुक्रिया किया और कहा कि लोकतंत्र की जीत हुई है और तानाशाही की हार हुई है। लोगों ने भारतीय जनता पार्टी की झूठ का जवाब दिया है।
उन्होंने आगे कहा कि यह खेल तो हम भाजपा से ही सीख रहे हैं। किसानों से वादा किया गया कि उनका कर्ज माफ कर दिया जाएगा। वास्तव में ऐसा हुआ क्या? बल्कि किसानों की जान चली गई। किसानों के साथ यह बहुत बड़ा धोखा है।
कैराना सीट भारतीय जनता पार्टी के पास थी और नूरपुर विधानसभा सीट भी भारतीय जनता पार्टी के ही पास थी। कैराना में भाजपा ने मृगांका सिंह को उतारा था और भाजपा को पूरी उम्मीद थी कि मृगांका सिंह को उनके पिता की सहानुभूति मिलेगी और वे चुनाव जीत जाएंगी, लेकिन उसका उल्टा हो गया। यही नहीं, चुनाव के एक दिन पहले पीएम मोदी भी उसी इलाके में पेरीफरल एक्सप्रेस वे का उद्घाटन भी किए थे और बड़ा रोड शो भी किए थे और गन्ना किसानों के लिए लोकलुभावन वादे भी करके आए थे। लेकिन मतदाताओं ने उनकी एक भी नहीं सुनी और उन्होंने अपने मन का किया।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बने अभी महज 14-15 महीने ही बीते हैं, लेकिन उसके बाद से जितने भी उपचुनाव करवाये जा रहे हैं ज्यादातर सीटों पर भाजपा प्रत्य़ाशियों को हार का सामना करना पड़ा है।
WATCH: Celebrations outside Samajwadi Party office in Lucknow after the party won Noorpur Assembly seat pic.twitter.com/QXYQreVWWz
— ANI UP (@ANINewsUP) May 31, 2018
आमतौर पर यह माना जाता है कि अगर सरकार के कार्यकाल के आधे समय के पहले कोई उपचुनाव होता है तो ज्यादातार मामलों में सत्ताधारी दल को ही जीत मिलती है, लेकिन यहां पर उसका उल्टा हो रहा है। जिससे यह साफतौर पर पता चल रहा है कि भाजपा नेतृत्व के प्रति लोगों में नाराजगी है और सरकार डिलीवर कर पाने में अक्षम है।
अभी हाल ही में दो लोकसभा उपचुनाव हुए थे, जिसमें से एक सीट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की और दूसरी सीट उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की थी। इन दोनों ही सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। इसमें से गोरखपुर की सीट तो ऐसी थी जिसपर पिछले 28 साल से भाजपा या उसके सहयोगी के पास थी।