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कैराना जीत के बाद, चौधरी अजित सिंह अपनी खोई जमीन पा सकेंगे

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2 सीटों से शुरू हुआ बीजेपी का सफर 2014 के चुनावों में 282 तक पहुंच गया। इस परिणाम का श्रेय नरेंद्र मोदी को दिया गया। 2014 के चुनावों में बीजेपी को सबसे ज्यादा सीटें उत्तर प्रदेश से ही मिली थीं। लेकिन धीरे- धीरे यहां मोदी मैजिक कम होता दिखाई पड़ पहा हैं। आज कैराना के नतीजों ने फिर एक बार उत्तर प्रदेश में नए राजनीतिक समीकरण को जन्म दे दिया हैं।

कैराना के परिणामों के बाद सबसे ज्यादा अगर किसी को राहत मिली हैं तो वो है आरएलडी। 2014 के मोदी लहर में यूपी के जाट नेता अजित सिंह अपनी सीट तक नहीं बचा पाए थे, वहीं आज उन्हें राजनीतिक जमीन वापस मिल गई। इसके साथ ही बीजेपी की पश्चिमी यूपी में किसी बड़े किसान नेता की तलाश शुरू हो गई है। अभी तक बीजेपी के पास ऐसा कोई नेता नहीं हैं जो अजित सिंह को पश्चिमी यूपी में कांटे की टक्कर दे सके। पश्चिमी यूपी में अभी आरएलडी सभी पार्टियों को अकेले ही टक्कर देती थी, इस बार उसे एसपी और बीएसपी का भी साथ मिला, जिससे एक बात फिर साफ हो गई कि पूरे विपक्ष के पास ममता के फार्मूले को अपनाने के अलावा और कोई चारा नहीं हैं, अगर उसे मोदी लहर को रोकना है तो।

2019 में बीजेपी के लिए उत्तर प्रदेश का 2014 का इतिहास दोहराना काफी मुश्किल होगा। यूपी की सीटों पर उसे अगर अपना कबजा जमाना है तो गन्ना किसानों का दिल जीतना होगा, सिर्फ ध्रुवीकरण की राजनीति से उसका कुछ नहीं होगा, क्योंकि बीजेपी ने कैराना में हिंदुओं के पलायन का मुद्दा काफी जोर शोर से उठाया था और फिर भी उसे हार का मुंह देखना पड़ा।

आरएलडी ने इस जीत के साथ ही एक और कीर्तीमान अपने नाम किया, क्योकि 2014 में उत्तर प्रदेश से कोई भी मुस्लिम महिला सांसद नहीं थी, इस जीत के बाद यह सूखा भी खत्म हो जाएगा।

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