साल 2014 के बाद से कई राज्यों में चुनाव हुए जिसमें ज्यादातर राज्यों में बीजेपी को जीत हासिल हुई, आलम यह रहा कि किसी को समझ तक नहीं आया की मोदी शाह की जोड़ी का काट क्या हैं। ऐसे में बिहार के चुनावों में शुरू हुआ महागठबंधन का प्रयोग सफल रहा और पूरे विपक्ष को लगा की मोदी के तिलिस्म का तोड़ ये हो सकता हैं।
कैराना और नूरपुर की जनता, कार्यकर्ताओं, उम्मीदवारों व सभी एकजुट दलों को जीत की हार्दिक बधाई! कैराना में सत्ताधारियों की हार उनकी अपनी ही प्रयोगशाला में, देश को बाँटने वाली उनकी राजनीति की हार है. ये एकता-अमन में विश्वास करने वाली जनता की जीत व अहंकारी सत्ता के अंत की शुरूआत है.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 31, 2018
बिहार के बाद से जिस भी राज्य में चुनाव हुए वहां विपक्ष ने एक होने की कोशिश तो की पर वो इसमें सफल नहीं हो पाए। आलम यह हो गया कि मोदी विपक्ष के लिए वो लाइलाज बीमारी बन गए, जिसका विपक्ष सिर्फ फौरी तौर पर इलाज तो कर पाया, लेकिन जड़ से खत्म नहीं कर सका। इन सबके बीच कुछ बातें ऐसी भी हैं, जो मोदी के लिए गले की हड्डी बनती जा रही हैं। मसलन 2014 के बाद से हुए ज्यादातर उपचुनावों में बीजेपी को हार का सामाना करना पड़ा है। यहां तक कि गोरखपुर की परंपरागत सीट तक बीजेपी हार गई थी। गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ के यूपी के मुख्यमंत्री बनने के बाद इस सीट पर चुनाव हुए थे।
उत्तर प्रदेश में योगी के आने के बाद से लोकसभा और विधानसभा की मिलाकर 5 सीटों पर उपचुनाव हो चुके हैं, जिसमें कानपुर देहात की सिकंदरा विधानसभा सीट को छोड़ दें तो गोरखपुर, फूलपर, कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी को हार का मुहं देखना पड़ा हैं। अब इस हार के बाद से विपक्ष एक बार फिर इसे मोदी की साख से जोड़कर देख रहा हैं। इसकी अगुवाई हो भी गई हैं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस हार पर कहा की यह हार दिखाती हैं लोगों में मोदी के प्रति कितना रोष हैं।
आज के नतीजे दिखाते हैं की देश भर में मोदी सरकार के ख़िलाफ़ लोगों में बहुत ज़्यादा ग़ुस्सा है।
अभी तक लोग पूछते थे – विकल्प क्या है? अब लोग कह रहे हैं कि मोदी जी विकल्प नहीं हैं, पहले इन्हें हटाओ।
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) May 31, 2018
इस सब से इतर एक बात जो सबसे महत्वपूर्ण हैं वो ये हैं कि इस हार का जिम्मेदार कौन? विपक्ष इसे मोदी की हार बता रहा हैं, वहीं संगठन के नेता इसे बीजेपी की सामूहिक हार बता रहे हैं। अब देखने वाली बात है कि क्या योगी सामने से आकर हार की जिम्मेदारी लेंगे जैसा उन्होंने गोरखपुर की हार के बाद किया था, और क्या विपक्ष इसे योगी की हार मानेगा भी, क्योंकि विपक्ष के निसाने पर तो तो मोदी हैं।