पुणे। पुणे स्थित जील एजुकेशन सोसाइटी के हिंगेन स्थित ध्यान गंगा स्कूल ने कथित रूप से 150 से अधिक छात्रों को अपनी फीस नहीं चुका पाने के कारण लीविंग सर्टिफिकेट जारी कर दिया है।
छात्रों के माता-पिता ने कहा है कि स्कूल प्रबंधन उन्हें अधिक चार्ज कर रहा था।
एक माता-पिता ने कहा कि हमने डिपॉजिट के रूप में 30,000 रुपये और 10,000 रुपये का भुगतान किया था और उन्हें शुल्क में जमा समायोजित करने के लिए कहा था लेकिन स्कूल हमसे बात करने के लिए तैयार नहीं है।
स्कूल ने यह निर्णय बॉम्बे हाईकोर्ट में दाखिल किए गए सिविल एप्लिकेशन के बाद में आए फैसले के बाद लिया गया है। जिसमें यह कहा गया था कि पैरेंट्स फीस देने से मना कर दिया।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि स्कूल प्रबंधन को शुल्क के भुगतान के मामले में छात्रों के प्रवेश को रद्द करने का अधिकार था।
एएनआई से बात करते हुए, विकल देशमुख, ज़ील एजुकेशन सोसाइटी के कानूनी सलाहकार ने कहा कि प्रमाणपत्र अदालत के आदेश के अनुसार स्कूल द्वारा जारी किया गया था।
बांबे हाईकोर्ट ने कहा कि 2016-17 में 30,000 रुपये की राशि का भुगतान किया, फिर उन्हें 2017-18 के लिए शुल्क का भुगतान करने में समस्या क्यों थी, यह समझ से परे है। उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि स्कूल को अपनी फीस तय करने का अधिकार है जिसके बाद हमने निर्णय लिया।
उन्होंने कहा कि स्कूल ने माता-पिता को 7-दिन का समय भी दिया, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया, नतीजतन, उन्हें कदम उठाना पड़ा।