रमजान के महीने में कश्मीर घाटी में शांति कायम रखने के लिए सरकार ने सैन्य ऑपरेशन्स पर रोक लगा दी थी लेकिन श्रीनगर में बीते शुक्रवार को प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हुए संघर्ष को क्या कहा जाएगा। पुलिस ने नाउवाटा चौक के पास जामिया मस्जिद में नमाज अदा करने वालों की सुविधा को देखते हुए और इलाके में कोई अप्रिय घटना ना घटे इसके लिए पुलिस कर्मियों को तैनात किया था लेकिन जुम्मे की नमाज के बाद युवाओं की एक टोली झंडे/बैनर लेकर पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करती है और सुरक्षा बल पर ईट पत्थर फेंकती है। ऐसे में पुलिस को माहौल को शांत बनाने के लिए बल का प्रयोग करना पडा।
जहां रमजान के महीने में सैन्य बल को अपनी तरफ से कोई कार्रवाई नहीं करने के आदेश दिये गए। लेकिन पुलिस की प्रदर्शनकारियों पर की गई कार्यबाही कितनी सही है। क्या कश्मीर घाटी में शांति कायम रखने के लिए सैन्य बल का प्रयोग करना जरुरी था ।
वहीं जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के अध्यक्ष और संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व के वरिष्ठ नेता मुहम्मद यासीन मलिक घायलों को देखने पहुंचे और लोगों को संबोधित करते हुए असिया एंड्रबी, उनके पति, कासिम फकू, मसारत आलम के साथ सभी कैदियों को छोडने की मांग करना और प्रदर्शन में सरकार के खिलाफ नारेबाजी करना एक सोची समझी साजिश नही लगती जिससे रमजान में कश्मीर का माहौल खराब किया जा सके