देश के जिन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश में हिंदुओ की आबादी कम हैं वहां पर क्या उन्हे अल्पसंख्यक वर्ग का दर्जा मिलने वाला हैं, यहा सवाल इसलिए क्योकि सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल करके जिसमें आठ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा दिये जाने की मांग थी। यह अर्जी भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने सर्वोच्च अदालत में दाखिल की थी।
आइए पहले आपको यह बताते हैं की किन किन राज्यों में हिंदुओं की आबादी कम हैं, वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, लक्षद्वीप में 2.5 फीसदी, मिजोरम में 2.75, नगालैंड में 8.75, मेघालय में 11.53, जम्मू-कश्मीर में 28.44, अरुणाचल प्रदेश में 29, मणिपुर में 31.39 और पंजाब में 38.40 प्रतिशत हिंदू हैं। इसी का हवाला देकर अश्विनी उपाध्याय नें हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा दिये जाने की मांग की थी। बाद में न्यायालय ने उनसे कहा था कि वह अल्पसंख्यक आयोग का रुख करें, उपाध्याय का कहना है कि इन आठ राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं, ऐसे में इन राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यकों वाले अधिकार मिलने चाहिए।
हिंदुओं को अल्पसंख्यक वर्ग का दर्जा देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से कुछ दिन पहले राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सैयद गैयरुल हसन रिजवी ने का कि “मौजूदा कानूनी प्रावधानों के तहत इन प्रदेशों में हिंदुओं को धार्मिक अल्पसंख्यक घोषित नहीं किया जा सकता, क्योंकि अल्पसंख्यक वर्गों का निर्धारण राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में होता है।“ दरअसल हिंदुओं को अल्पसंख्यक वर्ग का दर्जा दिये जाने की मांग वाली याचिका पर 14 जून को आयोग की तीन सदस्यीय उप समिति सुनवाई करेगी। रिजवी ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट के कहने के बाद हमने उप समिति बनायी, यह उप समिति 14 जून को याचिकाकर्ता का पक्ष सुनेगी. उनका पक्ष सुनने के बाद हम अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को भेजेंगे।”