उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद से ही इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने की मांग को आखिरकार योगी सरकार ने हरी झंडी दे दी है। सीधे शब्दों में कहें तो यह कि योगी सरकार ने इलाहाबाद को प्रयागराज के नाम से औपचारिक मंजूरी दे दी है और जल्द ही इसका आधिकारिक शासनादेश भी जारी हो जाएगा। 2019 में लगने वाले कुंभ से पहले प्रयागराज नाम पूरी तरह अस्तित्व में होगा और हर सरकारी कामकाज में प्रयागराज ही इस्तेमाल किया जाएगा।
किसने भेजा था प्रस्ताव?
इलाहाबाद का नाम फिर से प्रयागराज होगा, इस आशय से मिले कयी ज्ञापन व मांग के बाद तत्कालीन डीएम इलाहाबाद संजय कुमार ने शासन को नाम बदलने का प्रस्ताव अपनी संस्तुति के साथ मंजूरी के लिये भेजा दिया था।
किसने रखा था ये नाम?
1526 में यह पौराणिक भूमि मुगलों के अधीन हो गई । तब मुगल शासक अकबर ने इस ऐतिहासिक नगरी का नाम बदलकर अल्लाहाबाद कर दिया। अंग्रेजी में आज भी इसे अल्लाहाबाद ही कहा जाता है, लेकिन बोलचाल की भाषा में इसे इलाहाबाद कहा जाने लगा।
पुराणों में क्या था नाम?
पुराणों व हिंदू धर्म की मान्यता अनुसार इस भूमि पर ब्रम्हा जी ने सृष्टि का सबसे पहला यज्ञ सम्पन्न किया था। यानी प्र से प्रथम और याग से यज्ञ शब्द मिलकर इस पावन भूमि का नाम प्रयाग पड़ा। इसे समस्त तीर्थों का राजा तीर्थराज, संगम, त्रिवेणी जैसे उपनामों से भी ख्याति प्राप्त है।