जहां मजबूरन किसी कारण से मां बाप अपने नवजात बच्चों को लावारिस हालत मे छोङ दिया करते थे और कई परिस्थितियो मे उनकी मौत भी हो जाती थी, ऐसे मे शिशु पालना केन्द्र लावारिस नवजात बच्चो के लिए एक वरदान ही है लेकिन जिले मे जहां एक ओर विकास और सुविधाओं के दावे प्रशासनिक अधिकारी करते आये हैं, वहीं नवजात बच्चो कि देखरेख के लिए मातृ छाया केन्द्र का जिले में अभाव है।
छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले मे एक अच्छी पहल कर लावारिस हालत मे मिलने वाले नवजात बच्चों के लिए महिला बाल विकास विभाग के द्वारा शिशु पालना केन्द्र की शुरुआत एक साल पहले हुई थी। जहां कोई भी मां – बाप नवजात बच्चों को लावारिस हालत मे ना छोड़ शिशु पालना केन्द्र मे अपनी पहचान छुपाकर बच्चे को छोङ सकते हैं। हालांकी शिशु पालना केन्द्र के शुरुआत से लावारिस हालत मे मिलने वाले नवजातो के आंकङो मे कमी आ रही है पर पिछले सप्ताह सखी वन स्टाप सेंटर के पालना केन्द्र मे एक नवजात के मिलने के बाद जिले मे नवजात कि देखरेख करने के लिए मातृ छाया केन्द्र के अभाव मे उसे अंबिकापुर जिले मे भेज दिया गया, वहीं जिले मे नवजात के मिलने से स्थानिय लोग जिले मे भी मातृ छाया केन्द्र खोलने कि मांग कर रहे है। जिससे नवजात शिशुओ को जिले मे ही रख कर देख भाल कि जा सके।
हिन्द न्यूज टीवी के लिए सूरजपुर, छत्तीसगढ़ से सेराज अहमद