चंडीगढ़ से वुशू खेल ( मार्शल आर्ट) में राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी रहे संजय सिंह कायत ने कहां है, कि खेल शब्द सुनने में बहुत ही अच्छा महसूस होता है, वहीं बात अगर क्रिकेट की हो तो सारा देश सब-कुछ छोडक़र सिर्फ उसे देखने में जुट जाता है, जबकि यह भारत का राष्ट्रीय खेल भी नहीं है। उन्होंने कहां कि देश के युवा जो अन्य खेलों में रूचि रखते है। राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पदक लाकर देश को सम्मान दिला रहे हैं, इस उम्मीद के साथ कि केन्द्र एवं राज्य सरकार उनके भविष्य के बारे में जरूर कुछ न कुछ जरूर करेगी, लेकिन अफसोस कि कुछ खिलाड़ी केन्द्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओ से वंचित रह जाते है और फिर खिलाडिय़ों का उत्साह टूट जाता है। इन खिलाडिय़ों को सांतवना के तौर पर सिर्फ और सिर्फ मेडल के सिवाय कुछ नहीं मिल पाता।
खिलाडिय़ों का कहना है कि केन्द्र एवं राज्य सरकारों को खिलाडिय़ों के लिए खेल नियमावली में उन्हें नौकरी देने का प्रावधान जरूर रखना चाहिए, जिससे खिलाड़ी का भविष्य सुरक्षित रह सके, जिससे खिलाड़ी अपने परिवार का भरण पोषण भली प्रकार कर सके। खिलाड़ी आज भी केन्द्र एवं राज्य सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि कभी न कभी सरकार उनकी भी सुनेंगी। अन्तरराष्ट्रीय ह्यूमन राईट्स एवं अपराध नियंत्रण संगठन के गुडग़ांव जिला संगठन सचिव विजय माहौर एवं गुलशन से बातचीत के दौरान कायत ने कहा कि उसने वुशू खेल में देश को सम्मान दिलाने के लिए अपना पूरा ध्यान सिर्फ वुसू खेल पर ही रखा, जिसकी वजह से वह अपनी आगे की पढ़ाई पर भी अधिक ध्यान नहीं दे सका और सरकार उन्हें भूल गई।
हिन्द न्यूज टीवी के लिए चंडीगढ़ से अभिषेक