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फैजाबाद,भ्रष्ट डीएम की शुरु हुई जांच

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आयुक्त फैजाबाद मंडल मनोज कुमार मिश्र ने डीएम बस्ती सुशील कुमार मौर्य के घूस मांगने की जांच शुरू की। वह अपनी टीम के साथ बस्ती आए और शिकायत से जुड़े लोगों, अधिकारियों व कर्मचारियों का बयान लिया। डीएम बस्ती पर खनन के पट्टाधारकों, गेहूं खरीद, आबकारी, भट्ठा मालिकों सहित अन्य सरकारी विभागों से रुपया मांगने की शिकायत है। हालांकि उन्होंने आरोपों को निराधार बताया और कहा कि जांच में सच्चाई सामने आ जाएगी।

विधायक संजय प्रताप जयसवाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर शिकायत किया था कि डीएम बस्ती खनन से लेकर सभी सरकारी विभागों और पटल से रुपये की मांग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने मामले की जांच आयुक्त बस्ती से कराने के लिए निर्देश दिये, लेकिन कुछ लोगों ने उनको लेकर सवाल खड़ा किया तो शासन ने जांच आयुक्त फैजाबाद को सौंप दी। विधायक और विभागीय के आरोपों की मानें तो डीएम बस्ती पर आरोप है, कि उन्होंने खनन पट्टे से संबंधित कार्यादेश तैयार करने व मशीन आदि से खुदाई कराने के नाम पर प्रति पट्टा 10-10 लाख रुपये की मांग रखी है। जिले में हो रही गेहूं खरीद को लेकर प्रति कुंतल 10 रुपया मांगने का आरोप लगाया। जब एक पट्टाधारक ने दस लाख नही दिया तो उसका पट्टा निरस्त कर दिया गया, एक विभागीय अधिकारी ने अपने आफिसियल ग्रुप में भी यह शिकायत की और बताया कि पिछले खरीद का हिसाब करने के बाद ही बोरे का नया स्टाक आवंटित हो रहा है। ऐसे में किसानों से रुपया लेने के लिए खरीद केन्द्र कर्मी मजबूर हो रहे हैं। इन्हीं आरोपों की जांच के सिलसिले में आयुक्त फैजाबाद मंडल मनोज कुमार मिश्र, अपर आयुक्त फैजाबाद मंडल छोटेलाल पासी, खनन अधिकारी फैजाबाद, सीआरओ बस्ती डा. आरडी पांडेय, एसडीएम सदर बस्ती श्रीप्रकाश शुक्ल, तहसीलदार बस्ती सदर अनिल कुमार साथ बस्ती आयुक्त सभागार जांच शुरू किया। उन्होंने पट्टाधारकों से अलग-अलग बात की। खनन, पर्यावरण प्रमाण पत्र, बालू डंपिंग संबंधित फाइलों को एक-एक कर खंगाला। बताया जाता है कि इस दौरान उन्होंने कुछ विभागों के अधिकारियों से भी बात की। दोपहर 12 बजे से शुरू हुई जांच शाम 4.30 बजे तक जारी रही।

जिले में लगभग 300 भट्ठे हैं। इन भट्टों को जिला स्तरीय समिति से पर्यावरण प्रमाण पत्र लेना होता है। आरोप है कि प्रति भट्ठा 70 हजार से लेकर एक लाख रुपया मांगा जा रहा है। इसकी शिकायत एक पूर्व ब्लॉक प्रमख विश्वनाथ जायसवाल ने की। उच्चाधिकारियों को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि जब इस सिलसिले मे डीएम से वार्ता कर प्रयास किया तो उन्होंने अशोभनीय व्यवहार करते हुए कहा कि तो ईंट भट्ठा नहीं चलने दिया जाएगा। आबकारी विभाग से प्रति शीशी पांच रुपये के वसूली का मुद्दा सामने आया है। स्वास्थ्य विभाग से प्रति माह सात लाख रुपये दिये जाने की बात कही गई है। शिक्षा विभाग भी इससे अछूता नहीं है। एमडीएम से लेकर अन्य खरीद पर रुपया तय करने की बात सामने आ रही है। जिले के वरिष्ठ अधिकारी ने यहां तक कहा कि फाइल रखने पर ‘मेरा क्या है’ जैसे शब्दों का प्रयोग होता है। वह भी तब कहा जाता है, जब फाइल से संबंधित सभी प्रकार के कोलम पूरा होते हैं। बालू डंपिंग के लाइसेंस के नाम पर बड़ी धनराशि की मांग करने का मुद्दा भी उठा है। हालांकि डीएम सुशील मौर्या ने आरोपो को सिरे से खारिज कर दिया है

हिन्द न्यूज टी वी के लिए सतीश श्रीवास्तव

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