चंडीगढ़। हरियाणा की सत्ता संभालने के बाद अक्सर अपने खान-पान को लेकर चर्चा में रहने वाले हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने शनिवार को एक कार्यक्रम में यह स्वीकार किया कि उनके मुख्यमंत्री आवास में पहुंचने के बाद रसोई घर के दैनिक व मासिक खर्चों में कई गुणा कमी आई है।
यही नहीं, मुख्यमंत्री खट्टर का कहना है कि वह अपनी रसोई तथा दवाईयों का खर्च अपने वेतन से वहन करते हैं। मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के सत्ता संभालने के बाद अक्सर उनके खानपान की खबरें मार्केट में आती रहती हैं। मुख्यमंत्री खट्टर के दैनिक भोजन में दलिया, बिस्कुट आदि अक्सर शामिल रहते हैं।
खट्टर से मुख्यमंत्री रहते हुए एक बार तो ऐसी खबरें भी आई कि उनके खान पान के कारण उनका निजी स्टाफ भी परेशान है। इन अटकलों पर विराम लगाते हुए मुख्यमंत्री खट्टर ने आज खुलकर स्थिति स्पष्ट की। एक कार्यक्रम के दौरान मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि उन्होंने जब सत्ता संभाली तो पता चला कि पूर्व समय के दौरान इस आवास में रहने वाले मुख्यमंत्रियों के केवल फलों का बिल ही दो से तीन लाख रुपए प्रति माह आता रहा है।
खट्टर ने बताया कि वह जब सीएम आवास में पहुंचे तो उन्होंने रसोई के बिल की जांच की। जिस पर पता चला कि औसतन हर माह केवल खाने पर ही पांच से सात लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं। जिसकी भरपाई सरकारी खजाने से की जाती थी। इसके बाद उन्होंने खान-पान को नियंत्रित किया और खुद ही रसोई में आने वाले राशन की राशनिंग की। लंबे समय से सीएम हाउस की रसोई में कोई चैक नहीं था। वर्तमान में सीएम हाउस की रसोई का खर्च कई गुणा कम हो गया है और उसकी अदायगी वह खुद अपने वेतन से करते हैं।
मुख्यमंत्री खट्टर ने कहा कि वह न केवल रसोई में आने वाले राशन की जांच करते हैं बल्कि गैर जरूरी बस्तुओं को रसोई से बाहर करते है। एक सवाल के जवाब में खट्टर ने कहा कि उन्हें कई बार दवाईयों की जरूरत पड़ती है, जो बाहर से मंगवाई जाती हैं। इन दवाईयों की अदायगी भी वह अपने वेतन से करते हैं। इसके लिए सरकारी खजाने पर कभी बोझ नहीं डाला।
हिन्द न्यूज टीवी के लिए चंडीगढ़ से अभिषेक