पटना। कर्नाटक चुनाव के बाद जो राजनीतिक स्थिति बनी है। उसके बाद कई अन्य राज्यों की राजनीति में मानो भूचाल आ गया है। कर्नाटक के राज्यपाल ने अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल करते हुए राज्य की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा को सरकार बनाने का आमंत्रण भेज दिया और आनन-फानन में आकर बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले ली।
राज्यपाल के फैसले को कांग्रेस और जेडीएस ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। रातभर चली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम राज्यपाल के फैसले पर रोक नहीं लगा सकते, लेकिन शीर्ष अदालत ने कांग्रेस की याचिका खारिज नहीं की और शुक्रवार को सुनवाई करने के लिए समय निर्धारित कर दिया।
आज सुनवाई करने के बाद शीर्ष कोर्ट ने येदियुरप्पा को शनिवार शाम चार बजे सदन के पटल बहुमत साबित करने के लिए समय सीमा तय कर दी।
लेकिन कर्नाटक के राज्यपाल के फैसले से उपजे असंतोष ने उन सभी राज्यों की राजनीति गर्म हो गई जहां पर सबसे बड़ी पार्टियां सत्ता से बाहर हैं और गठबंधन वाली पार्टियां सत्ता में हैं।
बिहार में नेता विपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि हमारी पार्टी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी है और हमारे पास कई अन्य पार्टियों का समर्थन है। लिहाजा हमें सरकार बनाने का मौका मिलना चाहिए।
बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मिलकर तेजस्वी ने अपना समर्थन पत्र सौंपा और कहा हमारी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी है। इसलिए हमें सरकार बनाने का मौका दिया जाये।
तेजस्वी यादव ने कहा कि हमारे पास फिलहाल 111 विधायक हैं और अगर हमें सदन के पटल पर बहुमत साबित करने का मौका मिला तो हम बहुत आसानी से बहुमत साबित कर देंगे। जेडीयू के कई असंतुष्ट विधायक हमारे संपर्क में हैं। जो बहुमत साबित करते समय हमारे साथ आ जाएंगे।
गोवा में कांग्रेस के विधायकों ने भी राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया और विधायकों की राज्यपाल के सामने परेड भी करवाई।
गौरतलब है कि कर्नाटक में भाजपा 104 सीटों के साथ राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और 78 सीटों के साथ कांग्रेस दूसरे और 38 विधायकों के साथ जेडीएस तीसरे नबंर पर है। दोनों के एक साथ आने और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से उनकी संख्या 118 है। लेकिन राज्यपाल ने कांग्रेस – जेडीएस की मांग को ठुकरा दिया और येदियुरप्पा को सरकार बनाने का मौका दे दिया। जिसकी देश भर में निंदा हुई है।
अगर यही आलम रहा तो वह दिन दूर नहीं कि देश में उन सभी राज्यों से आवाज उठने लगेगी जहां-जहां पर सबसे बड़ी पार्टियां सत्ता से बाहर हैं। लेकिन सभी राज्यों के राज्यपाल तो पूर्व में भारतीय जनता पार्टी या उसके फ्रंटल संगठनों से जुड़े रहे हैं, तो यह कह पाना थोड़ा मुश्किल होगा कि सभी राज्यों में ऐसा हो सकता है। लेकिन कर्नाटक के राज्यपाल का फैसला अगर नजीर बना तो सभी राज्यों में आवाज उठना तय है।