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येदियुरप्पा के पास नहीं हैं ‘नंबर्स’, फिर भी सदन में बहुमत साबित करने का भरोसा

येदियुरप्पा को भरोसा, सदन में साबित कर देंगे बहुमत

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बेंगलुरू। कर्नाटक के 23वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने के बाद बीएस येदियुरप्पा अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने के प्रति पूरी तरह से आश्वस्त हैं। हालांकि, उन्होंने जो पत्र राज्यपाल को सौंपा है उसमें 104 विधायकों का ही नाम है। जो बहुमत के आंकड़े से दूर है।

येदियुरप्पा ने कहा कि कल या परसों तक इंतजार कीजिए। इस महीने के अंत तक हमको सदन के पटल पर बहुमत साबित करने के लिए कहा गया है। मुझे इस पर पूरा विश्वास है कि हम सदन में अपना बहुमत साबित कर देंगे।

वहीं, भाजपा के विधायक बी श्रीरामुलु ने दावा किया कि निर्दलीय विधायक हमारी पार्टी के साथ हैं। मुझे यकीन है कि हम अपना बहुमत साबित करने में सक्षम होंगे।

मंगलवार की शाम को घोषित कर्नाटक विधानसभा चुनावों के नतीजे में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जबकि कांग्रेस और जेडी (एस) ने क्रमश: 78 और 37 सीटें जीती थीं।

चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद ही कांग्रेस ने घोषणा कर दी कि वह जेडी (एस) का समर्थन करेगी, जिससे उनकी सीटों की संख्या 118 है। चूंकि राज्य ने खंडित जनादेश दिया है, इसलिए जिसके पास बहुमत है उसे ही सरकार बनाने का न्यौता मिलना चाहिए।

लेकिन, कर्नाटक के राज्यपाल वाजुभाई आर वाला ने बुधवार को येदियुरप्पा को राज्य में अगली सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया।

उन्होंने जो आमंत्रण भेजा उसमें लिखा गया कि आप कर्नाटक भाजपा विधायक दल के नेता के रूप में चुने गए हैं। 15 मई 2018 को सरकार बनाने का आपका पत्र भी प्राप्त हुआ है। मैं आपको सरकार बनाने और मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के लिए आमंत्रित करता हूं।

इसके अलावा, वाजुभाई वाला ने येदियुरप्पा को सदन के पटल पर बहुमत साबित करने का निर्देश भी दिया। ताकि वह मुख्यमंत्री के रूप में पद संभालने की तारीख से पंद्रह दिनों के भीतर अपना बहुमत साबित कर सकें।

राज्यपाल के इस फैसले और सुप्रीम कोर्ट से स्टे न मिलने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक के निर्वाचित विधायक राजभवन के बाहर धरने पर बैठे हैं। कांग्रेस यह चीख-चीखकर कह रही है कि देश में लोकतंत्र की हत्या हो रही है। कांग्रेस के सुर में शिवसेना ने भी सुर मिलाया है। इसके अलावा सपा-बसपा भी पीछे नहीं हैं। राज्यपाल के इस फैसले को सपा-बसपा ने संविधान विरुद्ध बताया है और कहा है कि सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया जा रहा है। जो संविधान सम्मत नहीं है।

वहीं, डीएमके नेता एमके स्टालिन ने कहा है कि सभी ने यह देखा कि पीएम मोदी ने किस तरह से तमिलनाडु में राज्यपाल का दुरुपयोग करवाये। वही कर्नाटक में दोहराया गया है। राज्यपाल का यह कदम कानून के खिलाफ है और लोकतांत्रिक मर्यादाओं के खिलाफ है। हम इसकी निंदा करते हैं।

उधर, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि राज्यपाल ने संविधान का उल्लंघन किया है। राज्यपाल केंद्र के दिशा निर्देश का पालन कर रहे हैं। वे आरएसएस के सदस्य और गुजरात में मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि वे केंद्र की ही बात मानेंगे।

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