बेंगलुरू। कर्नाटक में खंडित जनादेश मिलने के बाद भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के बीच शह और मात का खेल जारी है। एकओर जहां भारतीय जनता पार्टी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। वहीं कांग्रेस दूसरे नंबर पर है और जेडीएस तीसरे नंबर पर है। भाजपा को 104 सीटें मिली हैं, तो कांग्रेस को 78 और जेडीएस को 38 सीटें मिली हैं। तीन सीटों पर अन्य को जीत मिली है।
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस के नेता 12.30 बजे से राज्यपाल से मिलने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनको मिलने का समय नहीं दिया जा रहा है। हम राज्यपाल को जेडीएस -कांग्रेस का समर्थन पत्र सौंपने के लिए राज्यपाल से मिलने की कोशिश कर रहे हैं। किसी भी पार्टी के विधायक को तोड़ने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए। हम उम्मीद करते हैं कि राज्यपाल महोदय संवैधानिक प्रावधान के खिलाफ नहीं जाएंगे। राज्यपाल के प्रति हमारी पूरी आस्था है। लेकिन जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन को सरकार बनाने के लिए मौका नहीं दिया गया तो कांग्रेस-जेडीएस के सभी विधायक राजभवन के बाहर कल से धरने पर बैठ जाएंगे। इस धरने में पार्टी के सांसद भी शामिल होंगे।
राज्य की सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते भारतीय जनता पार्टी संविधान का हवाला देते हुए यह कह रही है कि उसे सरकार बनाने का मौका मिलना चाहिए। सदन में वे बहुमत साबित कर देंगे।
वहीं, दूसरे राज्यों की घटनाओं को अगर जोड़कर देखा जाए तो कई राज्यों में सबसे बड़ी पार्टी को मौका नहीं देकर गठबंधन को सरकार बनाने का मौका दिया गया, जो संविधान के खिलाफ रहा है। लेकिन वहां पर यह कहते हुए बड़ी पार्टियों के दावों को खारिज कर दिया गया कि यह राज्यपाल के विवेक पर निर्भर है कि वे किस पार्टी की बात से कनविंस होते हैं कि उसकी पार्टी राज्य में एक स्थायी सरकार दे पाने में समर्थ हो पाएगी।
इस बीच भाजपा विधायक दल के नेता बीएस येदियुरप्पा ने राज्यपाल को अपना पत्र सौंप दिया है और कहा है कि इस बात की पूरी संभावना है कि राज्यपाल महोदय हमको सरकार बनाने का मौका जरूर देंगे।