रूडकी में जम्मू कश्मीर के कठुआ काण्ड जैसी घटना होने से टल गई है, और इसका कारण रहे है एस पी देहात मणिकांत मिश्रा जिनकी सूझबूझ ने इस घटना को टाल दिया है। मणिकांत मिश्रा को जैसे ही घटना की जानकारी लगी तो उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए खुद भी देर रात तक कोतवाली रूडकी में डेरा डाले रखा और पुलिसकर्मियों से मामले की पल पल की जानकारी लेते रहे।
सोमवार की शाम करीब पांच बजे मंगलोर से नौशाद नाम के एक युवक ने बुरी नियत से पांच साल की एक बच्ची का अपरहरण कर लिया, जिसको वो बाइक पर बैठाकर घुमाता हुआ रूडकी लेकर आया और रात करीब साढ़े आठ बजे कलियर रोड स्थित सोलानी पार्क में गहराई में ले गया जहां पर वो बच्ची के कपडे उतार ही रहा था की इतनी ही देर में महिला दरोगा खष्टी गढ़िया वहाँ एक सिपाही के साथ पहुंची और नौशाद को गलत काम करने से पहले ही दबोच लिया। बच्ची को सकुशल बरामद कर लिया जिसके बाद पुलिस ने माँ बाप को बुलाकर बच्ची को उनके हवाले कर दिया और नौशाद से पूछताछ शुरू कर दी।
पूछताछ में नौशाद ने बताया की वो मंगलोर के पठानपुरा का रहने वाला है, इससे पहले भी अपने रिश्तेदार की बच्ची के साथ ऐसा ही गलत काम कर चूका है, उसने बताया की वो कुछ समय पहले गंगनहर कोतवाली क्षेत्र में चोरी के आरोप में जेल भी जा चूका है।
एसपी देहात मणिकांत मिश्रा अपने क्षेत्र में किस तरह से सक्रिय रहते है इस बात का इस घटना से ही अंदाजा लगाया जा सकता है। करीब पांच बजे मंगलौर से बच्ची का अपहरण होता हैं और मणिकांत मिश्रा खुद मंगलौर पुलिस को घटना की जानकारी देते हैं जिसके बाद मंगलौर पुलिस घटना की जानकारी मिल जाने की बात कहती है यानी की मणिकांत मिश्रा को बच्ची के अपहरण की जानकारी मंगलौर पुलिस से नहीं मिलती बल्कि उनके खुद के सूत्रों से जानकारी मिलती हैं जिसे वो मंगलौर पुलिस से साझा करते है और बच्ची को तलाशने के लिए आसपास की पुलिस से सोशल मिडिया का इस्तेमाल करने के लिए कहते है। जिसके बाद करीब आठ बजे पुलिस को एक मोहसिन नाम के एक व्यक्ति का फोन आता है मोहसिन पुलिस को बताता है की एक युवक एक छोटी सी बच्ची को लेकर सोलानी पार्क में लेकर जा रहा है और बच्ची बुरी तरह से रो रही है। सुचना मिलते ही महिला दरोगा खष्टी गढ़िया एक सिपाही के साथ मात्र डेढ़ मिनट में मौके पर पहुँच जाती है और घटना के घटने से पहले ही आरोपी दबोच लेती है और बच्ची को सकुशल बरामद कर लेती है।
हिंद न्यूज टीवी के लिए रूड़की से हरिओम गिरि