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बेटी ने किडनी देकर मां को दी नई जिंदगी

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तू कितनी अच्छी है…तू कितनी भोली है…प्यारी-प्यारी है…ओ मां-ओ मां…। मां के प्रति प्रेम और समर्पण के इस गीत की सार्थकता तब हुई, जब एक बेटी ने अपनी मां को किडनी देकर उसकी जिंदगी बचाई। जिस मां ने बेटी को पैदा करके उसे दुनिया देखने के लिए पाला, उसी बेटी ने जब मां को किडनी देकर एक नई जिंदगी दी तो मां का भी कलेजा भर आया।
हम बात कर रहे हैं बादशाहपुर निवासी सुभद्रा देवी की। 61 साल की सुभद्रा देवी को कुछ समय पूर्व ही पता चला कि उसकी किडनी खराब हो चुकी है। तीन बेटियों की मां सुभद्रा देवी को इस बात का पता चलने पर तनाव हो गया। वर्ष 2001 में पति ओमप्रकाश शर्मा के देहांत के बाद सुभद्रा देवी ने ही अपनी बेटियों को बड़ा किया, पढ़ाया और उनकी शादी भी की। एक तरह से वह अपने काम पूरे कर चुकी थी, लेकिन जीने की उम्मीद हर किसी को होती है। इससे पहले की सुभद्रा देवी का तनाव दूसरी बीमारी का रूप ले लेता, इसी बीच उनकी 40 वर्षीय बड़ी बेटी कविता ने अपनी मां को किडनी देने का निर्णय करके अपना फैसला सबके सामने रख दिया। बेटी का फैसला सुनकर मां सुभद्रा देवी को यह समझने में देर नहीं लगी कि बेटों की चाह में बेशक समाज बेटियों को मार रहा है, लेकिन एक समय ऐसा आता है जब बेटियां परिवार को संकट से बचा ले जाती हैं। वहां बेटों की कमी नहीं खली। सुभद्रा देवी को आज बेटे नहीं होने का कोई गम न था।
सुभद्रा देवी बेटियों को बेटों से बढ़कर मानती थी, और इस किडनी देने के निर्णय के बाद से तो वह बेटियों को और अधिक बेहतर मानने लगी। सुभद्रा देवी का दिल्ली के अपोलो अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट हुआ। दोनों मां-बेटी अब घर पर हैं और पूरी तरह से स्वस्थ हैं। घर आने वाले हर आम-ओ-खास को सुभद्रा देवी बस यही संदेश देती है, कि बेटियों से कभी नफरत नहीं करनी चाहिए। उनकी बेटी ने जो काम किया है, वह हर बेटी कर सकती है। परिवार में जब कोई संकट आता है तो बेटियां उसकी तारनहार बनती हैं। सुभद्रा देवी को अपनी बेटी पर गर्व है। सुभद्रा देवी और उनकी बेटी कविता के बीच के प्रेम से इतर समाज में आज ऐसी माएं भी बहुत हैं जो कि अपनी बेटियों की खुशियों को कुचलने में देर नहीं लगाती। ऐसी बेटियां भी खूब हैं जो कि परिवार के लिए अपनी जिंदगी तक को दांव पर लगा देती हैं।
हिन्द न्यूज टीवी के लिए गुरुग्राम से अभिषेक

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