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बैंकों नें चुराया 40000 हजार करोड़ का टैक्स !

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बैंक अपने ग्राहकों को कई ऐसी सेवाएं देते हैं जो निशुल्क होती हैं। इनमें एटीएम से निशुल्क निकासी अहम हैं। बैंक आपको कुछ निकासीयोॆ का कोई चार्ज नहीं करते, और कुछ एक हिस्से के लिए ही आपको बैंकों को पेसैं चुकाने पड़ते हैं। एटीएम के संचालन और रखरखाव जैसी सेवाओं को अधिकतर बैंक किसी बाहरी स्रोत को ठेके पर देते हैं, और इसके लिए उन्हे प्रति लेन-देन एक रकम देते हैं। वेंडर ली गई फीस में जीएसटी जोड़ते हैं और उसके बाद आंकड़ा बैंकों के हवाले कर देते हैं। बैंक वेंडर की ओर से चुकाए गए जीएसटी पर इनपुट टैक्स क्रेडिट लेते हैं।

वहीं जांच अधिकारियों ने अपनी जांच के दौरान पाया कि 60 प्रतिशत लेनदेन वो होते हैं, जो बैंकों की तरफ से निशुल्क दी जाने वाली सेवाओं के दायरे में आते हैं, बाकी 40 प्रतिशत लेनदेन पर ही चार्ज लेते हैं। लेकिन बैंक वेंडरों की ओर से चुकाए गए पूरे 100 प्रतिशत जीएसटी के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट लेते हैं। अधिकारियों का मानना हैं बैंकों को इनपुट टैक्स क्रेडिट उन्ही लेनदेन पर मिले, जिनके लिए चार्ज वसूला गया हो।

इससे पहले टैक्स डिपार्टमेंट ने एसबीआई, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक को कारण बताओ नोटिस जारी कर करीब 40000 करोड़ रुपये टैक्स चुकाने को कहा था। इन बैंक पर सर्विस टैक्स पेमेंट्स में गड़बड़ियों के अलावा वैट क्रेडिट में कथित हेराफेरी के आरोप लगे थे।

 

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