अहमदाबाद (गुजरात)। गुजरात उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को 2002 के गुजरात दंगों के नरसंहार मामले में 14 अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और चार अन्य लोगों को बरी कर दिया।
उच्च न्यायालय ने इसी मामले में पांच अन्य लोगों को सात साल की कारावास की सजा सुनाई है।
एक विशेष अदालत ने गुजरात दंगे और नरसंहार के मामले में 23 आरोपियों को दोषी ठहराया था।
न्यायमूर्ति हर्ष देवानी और न्यायमूर्ति ए एस सुपेहिया की एक खंडपीठ ने सुनवाई अगस्त 2017 में एस केस की सुनवाई पूरी कर ली थी और फैसला सुरक्षित रख लिया था।
विशेष जांच दल (एसआईटी) की एक विशेष अदालत ने 2012 में 32 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
अभियुक्तों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की विधायक माया कोडनानी भी शामिल थीं, जिन्हें 28 साल की कारावास और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी से सम्मानित किया गया था, जिन्हें मृत्यु तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
इसके अलावा, सात आरोपियों को 21 साल की बढ़ी हुई उम्रकैद की सजा दी गई और शेष को 14 साल तक सरल जीवन कारावास दिया गया।
सभी अभियुक्तों ने उच्च न्यायालय में पूर्व आदेश के खिलाफ अपील की थी।
27 फरवरी, 2002 को गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के एस -6 कोच में आग लगाये जाने के बाद लगभग 58 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी।
घटना के बाद, 28 फरवरी को विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने गुजरात बंद घोषित कर दिया। इस दिन अहमदाबाद के नरोदा पटिया क्षेत्र में दंगाइयों ने कुल 97 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।