उत्तर प्रदेश सरकार में काबीना मंत्री ओमप्रकाश राजभर की पीड़ा एक बार फिर से सामने आई है। राजभर ने कहा है कि मैं पिछड़ी जाति का हूं इसलिए अधिकारी न तो मेरी सुनते हैं और न ही कोई इज्जत करते हैं। यहां तक कि कहीं दौरे पर जाने पर उनकी आवभगत भी नहीं की जाती है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में जातिवाद चरम पर है। यहां के अधिकारी पिछड़ी जाति के मंत्री की बात नहीं सुनते हैं। ओमप्रकाश यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि अगर कोई अगड़ी जाति का मंत्री आता है तो अधिकारी दुम हिलाते हुए उसके आगे-पीछे चक्कर लगाते रहते हैं। मेरे आने पर उन्हें लगता है कि ये क्या कर लेगा।
आपको बता दें, योगी के मंत्रिमंडल में ओमप्रकाश राजभर काबीना मंत्री हैं और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। कई बार इन्होंने उत्तर प्रदेश की कार्यशैली समेच अधिकारियों पर भी सवाल खड़े कर चुके हैं। इसके पहले ओमप्रकाश राजभर और गाजीपुर के डीएम के बीच जंग छिड़ी थी, जिसके लिए वे अनसन पर भी बैठ चुके हैं। ओमप्रकाश राजभर का विवादों से पुराना नाता भी रहा है। अभी हाल ही में उन्होंने कहा था कि शराब पीना यादवों और राजपूतों का पुस्तैनी धंधा है। उनके रेकॉर्ड को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि ओमप्रकाश राजभर और विवादित बयान एक दूसरे के पर्य़ाय बन गए हैं।
जानें- कौन हैं ओमप्रकाश राजभर
राजभर ने 1981 में कांशीराम के समय में राजनीति शुरू की। 2001 में इनका बहुजन समाज पार्टी में मायावती से विवाद हो गया। राजभर भदोही का नाम बदल कर संतकबीर नगर रखने से नाराज थे। इसके बाद इन्होंने अपनी पार्टी बनाई। 2004 से चुनाव लड़ रही भासपा ने यूपी और बिहार के चुनाव में अपने प्रत्याशी खड़े किए मगर ज़्यादातर मौकों पर जीतने से ज़्यादा खेल बिगाड़ने वाले बने रहे। मगर इस बार भाजपा के साथ गठबंधन करके उन्होने सत्ता के साथ रहने का सुख पा लिया। वैसे राजभर ने पहले मुख्तार अंसारी के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। मगर बाद में पीछे हट गए थे।