भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन ऑल आउट चला रखा है, जिसके चलते हाल ही में सेना ने कई आतंकियों समेत बुरहान वानी गैंग का सफाया किया था, लेकिन दूसरी तरफ का नजारा कुछ और है। यहां प्रदर्शन और पत्थरबाजी के चलते आम जन-जीवन अस्त व्यस्त है। वहीं जम्मू-कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती ने सभी दलों की बैठक करके केंद्र सरकार से घाटी में रमजान और अमरनाथ यात्रा के लिए एकतरफा सीजफायर की मांग की है। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि भारत सरकार से हम सभी को अपील करनी चाहिए कि वो रमजान के मुबारक मौके और अमरनाथ यात्रा की शुरुआत पर जैसे वाजपेयी सरकार ने 2000 में सीजफायर किया था, ठीक उसी तरह का कोई कदम उठाए। ऐसा करने से आम नागिरक को थोड़ा रिलीफ मिलेगा। वहीं उन्होंने कहा कि इस समय जो एनकाउंटर और सर्च ऑपरेशन हो रहे हैं, उससे आम नागरिक को काफी तकलीफ हो रही है। ऐसे में हमें वो कदम उठाने चाहिए जिससे लोगों का विश्वास बहला हो।
वहीं आर्मी चीफ विपिन रावत ने कहा कि अगर हम घाटी में ऑपरेशन बंद कर देंगे तो उसके बाद सेना पर पत्थर बाजी न हो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। 2000 में केंद्र की वाजपेयी सरकार ने सीजफायर का ऐलान किया था, जिसकी तर्ज पर महबूबा मुफ्ती भी कुछ ऐसा ही चाहती हैं। दरअसल, सेना द्वारा जब सीमा या आतंकियों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती उसे सीजफायर कहते हैं। सुरक्षाबल सीजफायर में पहले कार्रवाई नहीं करते, बल्कि जिस तरफ से गोलीबारी की जाती है उसे सीजफायर का उल्लंघन कहा जाता है।